मऊगंज: जिले में यूरिया खाद की भारी किल्लत ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. प्राथमिक कृषि समितियों से खाद न मिलने के चलते किसान अब सहकारी विपणन संघ मर्यादित के भंडारण केंद्रों का रुख कर रहे हैं. लेकिन वहां भी हालात बेहद खराब हैं. सैकड़ों किसान रोज़ाना घंटों लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन खाली हाथ लौटने को मजबूर हैं.
खाद न मिलने की समस्या इतनी बढ़ गई कि सोमवार को भंडारण केंद्र पर किसानों के बीच धक्का-मुक्की और झड़प की स्थिति बन गई. स्थिति को काबू में लाने के लिए मौके पर तहसीलदार और डायल-100 की टीम को बुलाना पड़ा. अधिकारियों ने किसी तरह भीड़ को नियंत्रित किया, लेकिन समस्या का समाधान अब तक नहीं हो पाया है.
इस समय धान की बुआई अपने चरम पर है. किसान हर दिन समिति, भंडारण केंद्र और बाजारों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन नतीजा सिफर है. सरकारी भंडारण में यूरिया की उपलब्धता न के बराबर है, जबकि व्यापारी इसका फायदा उठाकर जमकर मुनाफाखोरी कर रहे हैं. बाजार में यूरिया एमआरपी से 100 से 150 रुपये तक ज्यादा में बेचा जा रहा है, लेकिन प्रशासन अब तक मौन है.
किसानों का आरोप है कि यह एक सुनियोजित कृत्रिम संकट है, जिसे रोकने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम रहा है. सवाल उठता है कि जब बारिश का मौसम पहले से तय है, तब खाद की व्यवस्था पहले क्यों नहीं की गई? क्या किसान अब भी इस सिस्टम की प्राथमिकता हैं या उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है? यह संकट सिर्फ संसाधनों की कमी नहीं, बल्कि नीतियों और नियत की भी परीक्षा है. जिसका खामियाजा खेती और किसान दोनों को भुगतना पड़ रहा है.