पुरातत्व विभाग की टीम मुरादाबाद पहुंच चुकी है. टीम कल यानी शुक्रवार को मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए संभल पहुंच सकती है. एएसआई की टीम आज मुरादाबाद में रुकी हुई है. संभल में हिंसा के बाद जब उपद्रवियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाया गया तो बिजली चोरी का मामला सामने आया. लेकिन 14 दिसंबर को पुलिस उस वक्त हैरान रह गई जब दीपा राय इलाके में चेकिंग के समय अचानक एक मंदिर मिल गया जो सन 1978 का बताया जा रहा है.
सपा सांसद के घर से 200 मीटर दूर मिला मंदिर
46 सालों से बंद पड़ा ये मंदिर सपा सांसद जियाउररहमान बर्क के घर से 200 मीटर की दूरी पर मिला था. मंदिर के अंदर हनुमान जी की प्रतिमा, शिवलिंग और नंदी स्थापित थे. इसके बाद 15 दिसंबर को मंदिर को खोला गया और वहां पूजा पाठ की गई. इसके बाद कुएं मिलने की जानकारी सामने आई और उसकी खुदाई कराई गई.
कल संभल पहुंचेंगे एएसआई के अधिकारी
अब एएसआई की टीम शुक्रवार को मुरादाबाद से संभल पहुंचेगी और मंदिर व कुएं की कार्बन डेटिंग करेगी. इसी बीच कुछ दिनों पहले संभल के एक और इलाके सरायतरीन में भी मंदिर मिला था. फिलहाल प्रशासन ने मंदिर के आसपास अवैध अतिक्रमण को हटा दिया है.
क्या होती है कार्बन डेटिंग?
कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक विधि है जिसका इस्तेमाल पुरातात्त्विक वस्तुओं, जीवाश्मों या प्राचीन बचे हुए जीवों की उम्र का निर्धारण करने के लिए किया जाता है. इसे रेडियोकार्बन डेटिंग भी कहा जाता है. यह विधि कार्बन-14 नामक इसोप्रॉप पर आधारित होती है, जो पृथ्वी के वातावरण में लगातार पैदा होता है.
जब कोई जीवित जीव सांस लेता है, तो वह कार्बन-14 को अपने शरीर में समाहित करता है लेकिन जब वह मर जाता है, तो उसकी कोशिकाएं कार्बन-14 का अवशोषण नहीं करती हैं. इस वजह से उसके शरीर में मौजूद कार्बन-14 का रेडिएशन समय के साथ कम होने लगता है. वैज्ञानिक इस प्रक्रिया का अध्ययन करके यह निर्धारित कर सकते हैं कि किसी वस्तु या जीवाश्म की उम्र कितनी है या वह कितना पुराना है.