अयोध्या। मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर चुनावी जंग अब चरम पर पहुंच चुकी है. भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. दोनों दल जीत के लिए पूरी ताकत झोंक चुके हैं. इस बीच, सपा सांसद अवधेश प्रसाद का रोते हुए वीडियो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है, जबकि भाजपा ने जीत सुनिश्चित करने के लिए रामलला की शरण ले ली है.
संघ, विहिप और अन्य आनुषांगिक संगठनों की ओर से मिल्कीपुर के मतदाताओं को रामलला का प्रसाद वितरित किया जा रहा है. विद्यार्थी परिषद ने भी मंगलवार से “राम टोली” के जरिए प्रसाद वितरण अभियान शुरू करने की घोषणा की है. इसके तहत 70 बूथों पर विशेष अभियान चलाया जाएगा, जिसमें मतदाताओं को शत-प्रतिशत मतदान के लिए प्रेरित किया जाएगा.
भाजपा के लिए नाक की लड़ाई
मिल्कीपुर सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं चुनाव की कमान संभाल रहे हैं और सात बार इस क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं. दोनों डिप्टी सीएम और कई मंत्री लगातार चुनाव प्रचार में जुटे हैं. संघ और उसके आनुषांगिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी भी भाजपा की रणनीति का हिस्सा है.
सपा की मजबूत चुनौती
सपा के लिए भी यह सीट बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. सांसद अवधेश प्रसाद के पुत्र यहां से चुनाव लड़ रहे हैं, और दलित-पासी वोटों का समीकरण सपा के पक्ष में जाता दिख रहा है. अगर सपा इस सीट पर जीत हासिल करती है, तो अवधेश प्रसाद का राजनीतिक कद और मजबूत हो जाएगा.
रामलला का प्रसाद और चुनावी गणित
बूथ विजय अभियान के तहत “राम टोली” घर-घर जाकर रामलला का प्रसाद वितरित करेगी. संघ के कार्यकर्ता पहले से ही इस अभियान में जुटे हैं, और भाजपा इसे अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में देख रही है.
मिल्कीपुर का यह चुनावी समर भाजपा और सपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है. नतीजा चाहे जो भी हो, लेकिन चुनावी बिसात पर रामलला के प्रसाद ने सियासी पारा और चढ़ा दिया है.