Uttar Pradesh: मुरादाबाद 13 अगस्त 1980 के दौरान हुआ दंगे के दौरान से बंद एक गौरीशंकर मंदिर के कपाट खुलवाने को लेकर मंदिर के महान और हिंदू संगठनों ने जिला अधिकारी के दरबार में दस्तक दिए हैं, मंदिर के कपाट खुलवाने के लिए अर्जी दी गई है, दंगे के दौरान मंदिर के पुजारी की भी हत्या की गई थी, 100 साल पुराने गौरी शंकर मंदिर को खुलवाने के लिए स्थानीय लोगों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर डीएम को ज्ञापन दिया है.
मुरादाबाद के लाइनपार इलाके में रहने वाले सेवाराम के नेतृत्व में स्थानीय लोगों कलेक्ट्रेट डीएम को ज्ञापन दिया. सेवाराम ने कहा कि झब्बू का नाला इलाके में उनके परदादा भीमसेन ने अपनी जमीन पर एक गौरी शंकर मंदिर की स्थापना की थी, उसे मंदिर की देखभाल उनके दादा करते थे भीमसेन ही मंदिर की देखभाल और पूजा पाठ भी करते थे. अचानक 13 अगस्त 1980 के दंगे में मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ ने भीमसेन की हत्या कर दी. उनकी लाश भी नहीं मिली.
इस हिंसा के बाद भीमसेन के परिवार के सदस्य लाइनपार इलाके में रहने लगे थे, उसे घटना के बाद मंदिर के कपाट को बंद कर दिया गया था आरोप है कि, मंदिर के अंदर रखी भगवान जी की मूर्तियों को भी गायब कर दिया गया था. अब वहां सिर्फ खंडरनुमा मंदिर है और उसमें शिवालय है. सेवाराम ने डीएम से शिकायत की है कि, जब भी वो इस मंदिर को खोलने जाते हैं तो दूसरे समुदाय के लोग विरोध करते हैं और मंदिर के कपाट को खोलने पर अंजाम की धमकी देते हैं.
सेवाराम ने डीएम से मांग की है पुलिस सुरक्षा के बीच मंदिर के कपाट खुलवाए जाएं. मूर्तियों की पुर्नस्थापना हो और रोजाना पूजापाठ की व्यवस्था की जाए. मंदिर परिसर पर हुए अवैध कब्जे को भी हटवाने की मांग की गई है.
मुरादाबाद के ईदगाह में ईद की नमाज के लिए हजारों की संख्या में मुसलमान जुटे थे. इसी बीच किसी ने अफवाह उड़ा दी थी की, नमाज के लिए आ रहे नमाजियों के कपड़े में ping (सूअर) टच हो गया, जिससे नमाज पढ़ने वाले नमाजियों के कपड़े नापाक हो गए थे. इस वायरल मैसेज ने फसाद का रूप ले लिया. जमकर पत्थर चले. थाने फूंक दिए गए. एक अधिकारी और कई नागरिकों को मौत हो गई थी, घटना के दौरान पुलिस व पीएसी जवानों पर भी गलत तरीके से फायरिंग का गंभीर आरोप लगा था.