Uttar Pradesh: अयोध्या राम मंदिर परिसर में 14 देवालयों की भव्य प्राण प्रतिष्ठा 5 जून को, 101 आचार्यों के वैदिक मंत्रों से गूंजेगी रामनगरी

अयोध्या: गंगा दशहरा के पावन अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि एक बार फिर भक्ति, श्रद्धा और सांस्कृतिक चेतना की दिव्य अनुभूति का केंद्र बनने जा रही है. 5 जून 2025, गुरुवार को अयोध्या के राम मंदिर परिसर में एक साथ 14 मंदिरों में भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न होगा. यह दिन केवल पंचांग की एक तिथि नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बन जाएगा. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस त्रिदिवसीय अनुष्ठान में काशी और अयोध्या के 101 विद्वान आचार्य वैदिक विधियों से देव विग्रहों में प्राण प्रतिष्ठित करेंगे.

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30 मई से प्रारंभ होने वाले इस सात दिवसीय महोत्सव की शुरुआत शिवलिंग की प्रतिष्ठा से होगी. शिव मंदिर में प्रतिष्ठित होने वाला शिवलिंग ओंकारेश्वर की नर्मदा नदी से प्राप्त है, जिसकी ऊंचाई 48 इंच, चौड़ाई 15 इंच और व्यास 68 इंच है. यह शिवलिंग पिछले वर्ष 22 अगस्त को अयोध्या लाया गया था और अब राम मंदिर परिसर के परकोटे में बने शिव मंदिर में प्रतिष्ठित किया जाएगा.

तीन दिवसीय मुख्य आयोजन 3 से 5 जून तक चलेगा. अनुष्ठान की श्रृंखला में पंचांग पूजन, वेदी पूजन, यज्ञ मंडप पूजन, अग्नि स्थापना और जल यात्रा जैसे वैदिक अनुष्ठान संपन्न होंगे। आचार्यगण वाल्मीकि रामायण, रामचरित मानस, चारों वेदों के मंत्रों का पाठ करते हुए पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण करेंगे. देव विग्रहों की प्रतिष्ठा के लिए संगमरमर के बने दो फीट ऊंचे सिंहासन तैयार किए गए हैं, जिन पर देवताओं की मूर्तियां प्रतिष्ठित होंगी.

प्राण प्रतिष्ठा जिन 14 मंदिरों में की जाएगी, उनमें परकोटे के छह देवालयों में भगवान शिव, सूर्य, गणपति, हनुमान, माता भगवती और माता अन्नपूर्णा की मूर्तियां स्थापित होंगी। वहीं, सप्त मंडपम क्षेत्र के सात मंदिरों में महर्षि वशिष्ठ, वाल्मीकि, अगस्त्य, विश्वामित्र, अहिल्या, शबरी और निषादराज की प्रतिष्ठा होगी. इसके अतिरिक्त शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की जाएगी.

इस आयोजन को केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना के उत्थान के रूप में देखा जा रहा है. श्रीराम के साथ उनके समस्त सहचर और श्रद्धेय ऋषि-मुनियों की प्रतिष्ठा भारत की आध्यात्मिक परंपरा को एक नई ऊंचाई प्रदान करेगी. रामनगरी अयोध्या एक बार फिर आस्था, भक्ति और संस्कारों की अद्वितीय प्रतीक बनकर उभरेगी.

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