संभल की जामा मस्जिद का विवाद इस समय पूरे देश में गूंज रहा है और इस मामले पर राजनीति भी हो रही है. हालांकि ये पहली बार नहीं है, जब संभल की जामा मस्जिद को हरि मंदिर बता कर दावा किया गया हो, या फिर मस्जिद में मंदिर के निशान का दावा हुआ हो. इससे पहले साल 1966 में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुरादाबाद का जिला गजेटियर तैयार किया, इस सरकारी गजेटियर में संभल की जामा मस्जिद के मुख्य परिसर की तस्वीर को संभल में कोट के ऊपर स्थित हरि मंदिर लिखा गया था.
इतना ही नहीं इस सरकारी गजेटियर में संभल का इतिहास बताया गया कि इसका पुराना नाम संभलापुर था और पूरा शहर बिखरे हुए टीलों पर स्थित था. जहां भारत में इस्लामी शासन आने से पहले एक किला या कोट था, जिस पर भगवान विष्णु का हरि मंदिर स्थित था जिसे अब मस्जिद में बदल दिया गया है.
गजेटियर में यह भी दावा किया गया कि पूरा ढांचा हिंदू मंदिर के रूप में बना हुआ है लेकिन इसे बाबर की मस्जिद कहा जाता है. गजेटियर में यह भी बताया गया कि मस्जिद में बड़ा सा टैंक है, फव्वारा है और बाहर एक प्राचीन कुआं है.
मस्जिद में घंटे की जंजीर अभी भी है टंगी हुई
संभल की मस्जिद के मंदिर होने का एक और दावा साल 1873 की Asiatic Society of Bengal की रिपोर्ट में किया गया था. जहां ना सिर्फ दावा किया गया था कि मस्जिद मंदिर को तोड़ कर बनी है बल्कि यह भी बताया था कि मस्जिद में घंटे की जंजीर अभी भी टंगी हुई है और भक्तों के लिए परिक्रमा का रास्ता बना हुआ है.
29 नवंबर को है सुनवाई की अगली तारीख
बीते दिनों संभल की जामा मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर का सर्वे हुआ था जिसकी अगली तारीख 29 नवंबर है . दो बार हुए सर्वे में जहां मस्जिद कमेटी, मस्जिद में हिंदू मंदिर के किसी भी निशान से इनकार कर रही है तो हिंदू पक्ष लगातार मस्जिद के हिन्दू मन्दिर होने का दावा भी कर रहा है.