नेपाल सीमा से सटे कतर्नियाघाट जंगल के निकट स्थित छोटा-सा गांव कारिकोट अब अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर दर्ज हो गया है. सामुदायिक प्रयासों से बदलते इस गांव का चयन प्रतिष्ठित इंडियन सब कांटिनेंटल रिस्पॉसिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) अवार्ड 2025 के लिए किया गया है. कारिकोट गांव को यह अवॉर्ड शांति, समझ और समावेशिता श्रेणी में मिलेगा. पुरस्कार 13 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रदान किया जाएगा.
कारिकोट गांव में थारू, हिंदू, मुस्लिम और सिख परिवार मिलकर पर्यटन को नया स्वरूप दे रहे हैं. यहां के ग्रामीणों ने मिलकर होमस्टे, प्राकृतिक खेती, लोक उत्सव और सीमा पर्यटन जैसी अभिनव पहल शुरू की है. इन प्रयासों से युवाओं और महिलाओं को रोजगार मिला है, वहीं गांव की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को भी नया स्वरूप मिल सका है.
पूर्व प्रधान व ग्राम सुधारक केशव राम का कहना है कि कारिकोट अब ऐसे गांव के रूप में विकसित हो रहा है, जहां मिलजुल कर लोग आगे बढ़ रहे हैं, पर्यटन से सबको रोजगार और पहचान मिल रही है.
वहीं विजिट कॅरिकोट अभियान से जुड़े अनंत प्रसाद ने बताया कि यह गांव उत्तर प्रदेश के ग्रामीण पर्यटन अभियान का ध्वजवाहक बनेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भी कारिकोट गांव की इस उपलब्धि को प्रदेश के लिए गर्व की बात बताया है। सरकार का मानना है कि गांव केवल कृषि के केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं.