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Uttar Pradesh: ‘मस्जिद कमिटी को कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल का मौका मिले’, संभल केस में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

Uttar Pradesh: संभल जामा मस्जिद सर्वे मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुुई. मुस्लिम पक्ष ने इसे लेकर याचिका दायर की थी. मामले में सुनवाई के दौरान सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि हमने आदेश देखा है. हम फिलहाल इस केस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. मस्जिद कमिटी को अपने कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल का मौका मिले. यह जिला कोर्ट या हाई कोर्ट कुछ भी हो सकता है.

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सीजेआई ने आगे कहा कि हम केस अपने पास लंबित रखेंगे. हम चाहते हैं कि वहां शांति रहे. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मेडिएशन पर भी विचार कर सकता है. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने आगे कहा, “अगर मस्जिद कमिटी सिविल जज के आदेश के खिलाफ अपील करती है, तो उसे 3 दिन में सुनवाई के लिए लगाया जाए. हम याचिका को लंबित रख रहे हैं. 6 जनवरी से शुरू हो रहे सप्ताह में इसे लिस्ट करेंगे. ट्रायल कोर्ट अभी कार्रवाई न करे. कमिश्नर रिपोर्ट सीलबंद रखी जाए.”

जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने याचिका में क्या कहा है

मस्जिद समिति ने अपनी याचिका में कहा है कि 19 नवंबर को मज्सिद के हरिहर मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका संभल कोर्ट में दायर की गई थी. उसी दिन सीनियर डिविजन के सिविल जज ने मामले को सुना और मस्जिद समिति का पक्ष सुने बिना सर्वे के एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर दिया. एडवोकेट कमिश्नर 19 की शाम ही सर्वे के लिए पहुंच भी गए. 24 को फिर सर्वे हुआ, जिस तेजी से सारी प्रक्रिया हुई, उससे लोगों में शक फैल गया और वे अपने घर से बाहर निकल गए. भीड़ के उग्र हो जाने का बाद पुलिस ने गोली चलाई, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई.

पक्ष न सुनने का लगाया आरोप

याचिकाकर्ता ने आगे कहा है कि शाही मस्जिद 16वीं सदी से वहां है. इतनी पुरानी धार्मिक इमारत के सर्वे का आदेश पूजास्थल अधिनियम और प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल कानून के खिलाफ है. अगर यह सर्वे जरूरी भी था, तो यह एक ही दिन में बिना दूसरे पक्ष को सुने नहीं दिया जाना चाहिए था.

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