Uttar Pradesh: बदायूं में भले ही यूरिया या डीएपी की आपूर्ति में कमी नहीं रही हो लेकिन सहकारिता विभाग का ऐसा खेल जानबूझ कर जिले में किसानों को खाद की किल्लत तैयार कर दी जाती है. जब डीएपी की जरूरत थी किसान को तो बहुत कम कम मात्रा में डीएपी धीमी गति से समितियों पर भेजी गई, जिससे खुले बाजार में डीएपी की जमकर काला बाजारी हुई.
आज भी यूरिया की किल्लत महसूस कर बाजार में जमकर कालाबाजारी हो रही क्योंकि समितियों पर 2023 की रखी हुई जिसमें डेले पड गए ऐसी यूरिया उपलब्ध कराई जा रही. अतः मजबूरन बाजार से महंगी यूरिया किसान को खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा, कृषि विभाग खाद की कालाबाजारी पर चुप्पी साधे रहता है, प्राईवेट दुकानदार मनमानी करते हैं, डीएपी के समय रूद्रपुर से चोरी छिपे डीएपी जिले में भारी तादाद में आई और मजबूरी बस किसान ने 1700 के दाम पर खरीदी.
आज खुले बाजार में 300 रूपए से ज्यादा रेट पर यूरिया बाजार में बिक रही, इसके लिए सरकारी तंत्र का षड्यंत्र जिम्मेदार है, इसकी जांच होनी चाहिए, मीडिया के माध्यम से बार-बार कालाबाजारी के तथ्य प्रकाशित करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही, इससे स्पष्ट होता है कि, खाद की कालाबाजारी प्रशासन जान बूझकर करा रहा.