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Uttar Pradesh: बदायूं में सियासत दौर जारी, भाजपा की रीढ़ पर विपक्ष का वार…

 

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Uttar Pradesh: बदायूं में आजकल सियासत काफी गर्म है एक तरफ सपा लोकसभा सीट हासिल कर पुनः अपना गढ़ बनाने की जुगत में है तो वहीं भाजपा खेमा कमजोर करने का सियासी माहौल तैयार हो रहा है, अब देखना यह होगा कि, क्या भाजपा अपने आप को कमजोर होने को कैसे रोक पाएगी, चलिए समझते हैं कुछ हालातों का जिक्र करके —

ज़ामा मस्जिद शम्सी बनाम नीलकंठ महादेव मंदिर मामला भाजपा विरोधी समुदाय को एकजुट करने वाला मंत्र बन रहा जिसे आगामी 2027 तक विपक्ष का बडा सियासी हथियार बन सकता है, हालांकि यह विवाद 2022 से निचली अदालत में ही चल रहा और एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सका है लेकिन इससे मुस्लिम बोटर धुर्वीकृत जरूर होता जा रहा, ऐसे में जनपद में जो दूसरे समुदाय का संख्या बल है.

वहीं सूर्य कुंड मझिया मामला त्रिपक्षीय होता जा रहा एक तरफ हाल में बौद्ध भिक्षुओं को वहां से निकालने पर बौद्ध भिक्षुओं के समर्थन में बदायूं का पूरा मौर्य शाक्य समाज बौद्ध अनुयायियों के भाजपा के नेता गण ही नहीं थे, बल्कि सपा के दिग्गज धर्मेन्द्र यादव, आदित्य यादव, भी खुलकर सामने आ गए , यहां तक शीर्ष नेताओं के निर्देश पर सपा जिलाध्यक्ष अनशन पर जाकर समर्थन में बैठ गए, ऐसा दृश्य बहुत समय बाद शायद पहली बार ऐसा दृश्य दिखाई दिया जब सपा बसपा और भाजपा का मौर्य शाक्य समाज एक साथ एक मंच पर मौजूद दिखा.

यदि सूर्य कुंड मझिया मामला जल्द ही भाजपा ने नही अपना श्रय लेते हुए निपटाया और सियासी रफ्तार यूं ही रही तो, मौर्य शाक्य समाज के साथ दलित समाज भी भाजपा की गिनती से दूर हो जाएगा. जो भाजपा पर 2027 में होने बाला ग्रहण साबित हो सकता है. भाजपा में इस समय मौर्य शाक्य समाज को रोकने और उनका सरकार में सहारा बनने बाले एक मात्र विधायक हरीश शाक्य हैं जो अपनी निजी अस्तित्व की लढाई में उलझ गए हैं उनका अब समाज को भाजपा के पक्ष में जोड़ कर रखना कब्जा से बहार लगने लगा है,

शेखू पर से पूर्व विधायक धर्मेन्द्र शाक्य हालांकि मौर्य शाक्य समाज की धुरी रहे भगवान सिंह शाक्य के बेटे हैं लगातार अपने समाज को जोड़ कर रखने का प्रयास करते हैं लेकिन सीट हार जाने से समाज पूरी तरह भाजपा में जोड़ कर रखना मुश्किल है क्योंकि उन पर सरकार में पद नहीं है.

ऐसे में भाजपा के संगठनात्मक चुनाव बहुत अहम हैं,यदि जिलाध्यक्ष मौर्य शाक्य समाज या दलित समाज से बनाया जाता है तो यह कहा जा सकता है कि आगामी 2027 की जंग भाजपा आसानी से लड पाएगी, नहीं तो मौर्य शाक्य समाज नीरज मौर्य के तरफ रूख कर उन्हें अपना नेता मान सकता है और सपा की राह आसान कर देगा.

 

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