Uttar Pradesh: कर्नलगंज (गोंडा)डाक विभाग की योजनाओं की आड़ में कर्नलगंज उप डाकघर में हुए 67 लाख रुपये के बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है. किसान विकास पत्र, राष्ट्रीय बचत पत्र और मंथली इनकम स्कीम जैसी योजनाओं के नाम पर आम नागरिकों से बड़ी धनराशि ली गई, लेकिन संबंधित खातों की औपचारिकताएं पूरी ही नहीं की गईं.
डाकघर के कर्मचारियों और ग्रामीण डाक सेवकों ने मिलकर यह फर्जीवाड़ा किया। जांच में कुल 10 कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई है, जिनमें तत्कालीन डाक सहायक, उप पोस्टमास्टर, एमटीएस और शाखा पोस्टमास्टर शामिल हैं.
दिल दहला देने वाला मामला
बालूगंज कसगरान मोहल्ला निवासी कैलाश चंद्र ने उप डाकघर में खाता खोलकर 22 लाख रुपये जमा किए थे. जब पैसों की आवश्यकता पड़ी और पासबुक की जांच की गई, तो पता चला कि राशि जमा ही नहीं की गई थी। मानसिक आघात में आने के बाद कैलाश को हार्ट अटैक आ गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई.
पत्नी सरोज की शिकायत के बाद जब अन्य लोग भी पासबुक लेकर डाकघर पहुंचे, तो सामने आया कि करीब 20 से ज्यादा खाताधारकों के खाते खोले ही नहीं गए थे, जबकि पासबुक उन्हें जारी कर दी गई थी.
जांच और मुकदमा
डाक विभाग की जांच में पुष्टि हुई कि यह एक संगठित गबन था। निरीक्षक डाकघर की तहरीर पर 13 मई को तत्कालीन और वर्तमान विभिन्न पदों पर कार्यरत 10 कर्मचारियों के खिलाफ गबन की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया.
कोतवाल श्रीधर पाठक ने जानकारी दी कि आरोपितों पर संबंधित धाराओं के तहत विधिक कार्यवाही की जा रही है। गबन की कुल राशि 67 लाख छह हजार 987 रुपये पाई गई है.
प्रशासनिक लापरवाही या साजिश?
यह मामला न केवल डाक विभाग की आंतरिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के लोगों के विश्वास को भी गहरा आघात पहुंचाता है. विभागीय स्तर पर कुछ कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है और शेष के खिलाफ कठोर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है.