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Uttar Pradesh: वाराणसी में रिटायर्ड सब लेफ्टिनेंट को 22 दिन डिजिटल अरेस्ट रखा, ठग लिए 98 लाख

वाराणसी: लगातार डिजिटल फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं सामने आ रही हैं. पीएम मोदी भी बढ़ती घटनाओं को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं. आए दिन लोग साइबर क्रिमिनल्स के झांसे में आ रहे हैं. ताजा मामला वाराणसी का है. यहां पर भारतीय जल सेवा से रिटायर्ड ऑनरी सब लेफ्टिनेंट को डिजिटल अरेस्ट कर 98 लाख रुपए की ठगी की गई है. साइबर अपराधियों ने पूर्व अफसर को लगातार 22 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा और मनी लांड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देते हुए एक-एक करके अलग-अलग खातों से 98 लाख रुपये ठग लिए. पूर्व अफसर को 11 नवंबर से 3 दिसंबर तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया. साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. पुलिस उन नंबरों की लोकेशन और नेटवर्क खंगाल रही है, जिससे पूर्व अधिकारी को फोन आए थे.

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ठगों ने खुद को बताया ट्राई अधिकारी: वाराणसी के सारनाथ थाना क्षेत्र के माधव नगर कॉलोनी निवासी अनुज कुमार यादव भारतीय जल सेवा में ऑनरी सब लेफ्टिनेंट के पद से रिटायर्ड हुए हैं. 31 जुलाई 2024 को रिटायर्ड होने के बाद वह अपने पैतृक गांव बलिया में ही रह रहे थे. इसके बाद आशापुर माधव नगर स्थित आवास पर रहने आ गए थे. अनुज ने बताया कि 11 नवंबर को उनके मोबाइल पर सुबह 11 बजे फोन आया. कॉल करने वाले ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया का अधिकारी बताया. कहा कि आपके नंबर पर एक सिम कार्ड जारी हुआ है. जिससे गैरकानूनी गतिविधियां की जा रही हैं. कोलाबा पुलिस स्टेशन से संपर्क कर लीजिए. फिर दूसरे नंबर से कॉल आई. जिसमें बताया गया कि उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. इस केस के विवेचना अधिकारी विजय खन्ना के मोबाइल पर अपना नंबर व्हाट्सएप कर दीजिए. इसके बाद लगातार पूर्व सीजेआई का फोटो लगाकर व्हाट्सएप मैसेज कर अनुज को डराया और धमकाया गया. उनसे यह कहा गया कि आपका नाम नरेश गोयल मनी लांड्रिंग केस में आया है. उससे संबंधित केनरा बैंक में आपका खाता खुला है. व्हाट्सएप के अलग-अलग नंबरों के जरिए अनुज को धमकी मिलने लगी.

अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवाए रुपये: अनुज ने बताया कि पहले दिन ही कॉलर ने मेरे खिलाफ केस में जांच में मेरा खाता बंद किए जाने की बात कही. पैसा किसी और खाते में ट्रांसफर करने की छूट देकर जांच के बाद वापस मिलने का आश्वासन दिया. इसके बाद इन लोगों ने 14 नवंबर को मेरे एक अन्य बैंक खाते से 33 लाख रुपये, 16 नवंबर को कोटक महिंद्रा बैंक खाते से 50 लाख रुपए ट्रांसफर करवाए. 18 नवंबर और 3 दिसंबर को आईसीआईसीआई बैंक से साढ़े सात लाख रुपए दो बार में आरटीजीएस करवाए. इसमें रिटायरमेंट की रकम फिक्स और पेंशन सब कुछ था, जो सब दे दिया. अनुज के मुताबिक, साइबर अपराधियों ने डराया कि यह नेशनल सिक्योरिटी का मामला है. अगर आप किसी को इसके बारे में बताएंगे तो हम उससे भी वसूली कर लेंगे. बताया कि जितना भी रिटायरमेंट के दौरान पाया था, सब साइबर अपराधियों ने ले लिया.

बेटे को पता चला तो हुआ ठगी का खुलासा: अनुज का बेटा मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता है. कई दिनों तक जब पिता से बातचीत नहीं हो तो 3 दिसंबर को बेटा घर पहुंचा. सब कुछ देखने के बाद उसने तत्काल साइबर ठगी का मामला समझकर थाने को सूचना दी. इस पूरे प्रकरण में साइबर थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्रा का कहना है कि जो भी तथ्य अब तक सामने आए उनके आधार पर तीन नंबर मिले हैं. जिनकी जांच की जा रही है. बताया कि जो भी पैसे ट्रांसफर किए गए हैं, वह कर अलग-अलग शहरों में गए हैं. जिनमें नई दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक बैंक में 33 लाख रुपये, गुरुग्राम के सदर बाजार रोड स्थित पुराने रेलवे स्टेशन कबीर भवन कोटक महिंद्रा बैंक में 50 लाख रुपये और हरियाणा के पानीपत मिड टाउन होटल के पास आईसीआईसीआई बैंक में साढ़े सात लाख रुपये, यूपी के कुशीनगर के आईसीआईसीआई बैंक में साढ़े सात रुपये ट्रांसफर किए गए हैं. फिलहाल सारे बैंकों की डिटेल और नंबरों के आधार पर जांच की जा रही है.
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