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Uttar Pradesh: सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय: मोबाइल चोरों का अड्डा, इलाज कराने आए तीमारदार दहशत में…

सैफई: उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जो कि प्रदेश के एक महत्वपूर्ण चिकित्सा संस्थान के रूप में जाना जाता है, आजकल मोबाइल चोरों के एक सक्रिय गिरोह के कारण सुर्खियों में है. यहां इलाज कराने आए दूर-दराज के तीमारदार इन चोरों के आसान शिकार बन रहे हैं, जिससे उनके बीच असुरक्षा और दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है. आए दिन किसी न किसी मरीज के साथ आए परिजन का मोबाइल फोन चोरी हो जाना अब एक आम बात हो गई है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन और स्थानीय पुलिस की ओर से इस समस्या पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है.

शनिवार रात को हुई ताजा घटना ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी. इटावा जनपद के बहादुरपुर गांव के निवासी सुनील कुमार अपनी पत्नी की डिलीवरी के बाद उन्हें विश्वविद्यालय के गायनी विभाग में भर्ती कराने आए थे. रात के समय जब सुनील वार्ड के बाहर बरामदे में थके-हारे सो रहे थे, तभी अज्ञात चोर उनका कीमती मोबाइल फोन चुरा ले गए. अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए सुनील ने बताया कि वे दिनभर अपनी पत्नी की देखभाल में व्यस्त रहते हैं और रात में जब थोड़ी राहत मिलती है तो उन्हें बरामदे में सोना पड़ता है, लेकिन हमेशा इस बात का डर बना रहता है कि कहीं उनका सामान चोरी न हो जाए. शनिवार रात उनकी यही आशंका सच साबित हुई और उनका मोबाइल चोरों ने उड़ा लिया.

यह कोई বিচ্ছিন্ন घटना नहीं है। सैफई विश्वविद्यालय परिसर में मोबाइल चोरी की घटनाएं अब एक नियमित समस्या बन चुकी हैं. यहां आने वाले तीमारदारों के अनुसार, लगभग हर दिन किसी न किसी वार्ड के बाहर से मोबाइल चोरी होने की खबर सामने आती है. इसके बावजूद, विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिससे तीमारदारों में निराशा और आक्रोश बढ़ता जा रहा है.

विश्वविद्यालय के ओपीडी भवन की पांचवीं मंजिल पर स्थित नवजात शिशु वार्ड तो विशेष रूप से चोरों के निशाने पर है। इस वार्ड में हर समय बड़ी संख्या में नवजात शिशु भर्ती रहते हैं और उनके साथ आए परिजन रात के समय बाहर बरामदों में सोने को मजबूर होते हैं। इसी दौरान चोरों का गिरोह सक्रिय हो जाता है और मौका मिलते ही मोबाइल फोन या अन्य कीमती सामान पर हाथ साफ कर देता है.

गायनी विभाग, जहां प्रसव के बाद महिलाओं को भर्ती किया जाता है, वहां भी चोरी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। यहां आने वाले तीमारदारों को न तो रात में सोने के लिए कोई सुरक्षित स्थान मिलता है और न ही अपने सामान की सुरक्षा का कोई भरोसा. ऐसी स्थिति में, वे पूरी रात जागकर अपने प्रियजनों और अपने सामान की रखवाली करने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है. सुनील कुमार जैसे अनेक तीमारदार अपनी परेशानियों को साझा करते हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिलता. कुछ पीड़ित चोरी की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराते हैं, लेकिन अधिकांश लोग थक-हारकर चुप रह जाते हैं, क्योंकि उन्हें कार्रवाई की कोई उम्मीद नजर नहीं आती.

सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय एक महत्वपूर्ण चिकित्सा केंद्र है, जहां इटावा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, औरैया, कन्नौज, बदायूं, शाहजहांपुर, कासगंज और फिरोजाबाद समेत लगभग 8 से 10 जनपदों से मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें से बड़ी संख्या में मरीज भर्ती रहते हैं, जिनके साथ उनके तीमारदार भी कई-कई हफ्तों तक परिसर में ही रुकते हैं. इसी दौरान चोरों का यह संगठित गिरोह सक्रिय रहता है और मौका मिलते ही चोरी की वारदातों को अंजाम देता है.

विश्वविद्यालय परिसर में इतने बड़े पैमाने पर लोगों की आवाजाही होती है, परिसर में सीसीटीवी कैमरों की पर्याप्त व्यवस्था होने और सुरक्षा गार्डों की तैनाती के बावजूद चोरी की घटनाओं का बढ़ना एक बड़ा और गंभीर सवाल है. यह दर्शाता है कि या तो सुरक्षा व्यवस्था में कोई बड़ी खामी है, या फिर चोर इतने शातिर हैं कि वे सुरक्षा व्यवस्था को भेदने में सफल हो रहे हैं। इस स्थिति में, विश्वविद्यालय प्रशासन को तत्काल एक व्यापक सुरक्षा योजना तैयार करने और उसे सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है, ताकि यहां आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को एक सुरक्षित और भयमुक्त वातावरण मिल सके.

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