Uttar Pradesh: सहरानपुर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने नवरात्र के दौरान बयान दिया कि “अगर दस दिन मीट नहीं खाएंगे तो कोई घिस नहीं जाएगा.” उनके इस बयान को लेकर जमीयत दावत-उल-मुसलमान के संरक्षक और प्रसिद्ध देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने प्रतिक्रिया दी.
उन्होंने कहा, “देखिए, उनके कहने का जो मतलब होगा, वह हो सकता है कि, लोगों से आपसी समझदारी की अपील कर रहे हों, लेकिन उनके अल्फाज कड़क हैं, उन्हें अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए. उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि वे किनसे बात कर रहे हैं, उनका पद क्या है, उसकी गरिमा क्या है, और उनकी सीमाएं क्या हैं, उन्हें यह भी समझना चाहिए कि, उन्हें जनता ने सांसद चुना है और वे सभी लोगों के प्रतिनिधि हैं, इसलिए सभी की भावनाओं का सम्मान करते हुए बोलना चाहिए.
मौलाना कारी इसहाक गोरा ने आगे कहा, “हो सकता है कि, वे स्वयं मांसाहार न करते हों, यह अच्छी बात है, और उनकी शारीरिक बनावट से भी ऐसा लगता है कि, वे नहीं खाते होंगे. लेकिन यह निर्णय करना कि, कौन क्या खाए और कब खाए, यह उनका अधिकार नहीं है. बल्कि सभी को एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। यही सही तरीका है। सांसद होने के नाते उन्हें सबका ख्याल रखना चाहिए, लेकिन हर चीज की एक सीमा और दायरा होता है.