Uttar Pradesh: सावन का महीना होगा आरंभ: महाहर धाम में जुटेगी कांवड़ियों की भीड़, मंदिर को लेकर ये है मान्यता

Uttar Pradesh: सावन का महीना आरंभ होने वाला है ऐसे में गाजीपुर का महाहर धाम कावड़ यात्रियों का पहली पसंद रहती है. बात करें इस मंदिर की तो यहां पर 13 मुखी शिवलिंग के साथ ही शिव परिवार की स्थापना राजा दशरथ के द्वारा किया जाना बताया जाता है. कावड़ यात्री प्रत्येक सोमवार को जिला मुख्यालय से गंगाजल लेकर करीब 35 किलोमीटर की यात्रा कर पहुंचते हैं और 13 मुखी शिवलिंग का जलाभिषेक कर पुण्य के भागी बनते हैं.

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35 से 40 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए गाजीपुर गोरखपुर हाईवे होते हुए महाहर धाम पहुंचते हैं. और उसके बाद घंटो लंबी-लंबी लाइन में लगकर भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं

इस कावड़ यात्रा को लेकर जिला प्रशासन और मंदिर प्रशासन के द्वारा भी तैयारी किया जा रहा है गाजीपुर के मरदह ब्लाक में स्थित महाहर धाम ऐतिहासिक-पौराणिक महत्व के कारण लोगों की आस्था का केंद्र है. महाराजा दशरथ एवं श्रवण कुमार से जुड़ा होने से इस धाम का ऐतिहासिक महत्व है. दूर-दराज से लोग इस स्थल को देखते आते हैं. धाम परिसर में प्राचीन शिव मंदिर के प्रति अटूट आस्था एवं विश्वास के कारण वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. सावन के महीने में इस धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं की काफी भीड़ बढ़ जाती है. यहां आने वाले श्रद्धालु गाजीपुर के गंगा घाट से जल भरते हैं और जल भरने के बाद पैदल करीब 35 से 40 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए गाजीपुर गोरखपुर हाईवे होते हुए महाहर धाम पहुंचते हैं. और उसके बाद घंटो लंबी-लंबी लाइन में लगकर भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं और फिर अपने-अपने घर को वापस होते हैं.

श्रावण मास में होने वाले इस कावड़ यात्रा के लिए एक तरफ जहां मंदिर प्रशासन की तरफ से पिछले काफी दिनों से तैयारी की जा रही है, यानी की मंदिर की साफ सफाई रंगाई पुताई के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं किया जा रहा है. ताकि कांवरियों को कोई दिक्कत ना हो तो वही जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की तरफ से भी कांवड़ियों के मार्ग में पडने वाले दुश्वारियां को दूर करने का भी काफी दिनों से कार्य किया जा रहा है.

इतना ही नहीं सोमवार को शुरू होने वाले कावड़ यात्रा के मद्देनजर जिला प्रशासन ने दो दिनों के लिए कावड़ यात्रा वाले रूट को ध्यान में रखकर रूट डायवर्जन भी कर दिया है, यानी की इस मार्ग पर रविवार और सोमवार को किसी भी तरह के बड़े वाहनों का संचालन नहीं होगा महाहर धाम में महाशिवरात्रि एवं सावन सोमवार पर दूर-दूर से आए हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक-दुग्धाभिषेक करते हैं.

अयोध्या के महाराजा दशरथ शिकार खेलने के क्रम में महाहर धाम के पास जंगल में पहुंचे थे

मान्यता है कि मंदिर में दर्शन-पूजन से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. मरदह ब्लॉक के महाहर धाम से कुछ दूरी पर स्थित सरवनडीह ग्राम पंचायत के बारे में कहा जाता यह गांव श्रवण कुमार के नाम पर बसा है. अयोध्या के महाराजा दशरथ शिकार खेलने के क्रम में में महाहर धाम के पास जंगल में पहुंचे थे. उसी समय श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता को कांवर पर बैठाकर तीर्थयात्रा कराने हेतु उसी जंगल से गुजर रहे थे. अंधे माता-पिता को प्यास लगने पर वह वह उन्हें जंगल में एक स्थान पर बैठाकर पानी की तलाश में चले गए. वह तालाब से पानी ले रहे थे तभी महाराजा दशरथ का शब्द भेदी बाण उन्हें लगा था। महाहर धाम परिसर में स्थित पोखरे के बारे में मान्यता है कि यह वही पोखरा है जहां  श्रवण कुमार जल लेने गए थे. श्रवण कुमार को बाण लगने के बाद उनके माता-पिता ने महाराजा दशरथ को श्राप दिया था और इस श्राप से बचने के लिए राजा दशरथ के द्वारा महाहर धाम में शिव परिवार की स्थापना किया गया और इस स्थापना के दौरान ही जब वहां एक कुएं की खुदाई की जा रही थी तब वहां पर 13 मुखी शिवलिंग मिला था. जो आज भी विराजमान है और इसी 13 मुखी शिवलिंग पर भक्त सावन के महीने में जलाभिषेक और दुग्ध अभिषेक करते हैं.

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