संसद के शीतकालीन सत्र शुरुआत होने से पहले ही वक्फ संशोधन बिल को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो चुका था. इसी बीच वक्फ संपत्ति को लेकर ही वाराणसी से एक मामला सामने आया है जहां वाराणसी के 115 साल पुराने उदय प्रताप कॉलेज को वक्फ बोर्ड की संपत्ति होने का दावा किया गया है. वक्फ बोर्ड द्वारा उदय प्रताप कॉलेज की जमीन पर मालिकाना हक जताते हुए नोटिस जारी किया गया है. इस नोटिस में कॉलेज की संपत्ति को सुन्नी बोर्ड से अटैच होने की बात कही गई है.
वाराणसी के भोजूबीर क्षेत्र में उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना महाराजा राजर्षि सिंह जू देव द्वारा 1909 में की गई थी. यहां के परिसर में उदय प्रताप इंटर कॉलेज, रानी मुरार बालिका इंटर कॉलेज, उदय प्रताप पब्लिक स्कूल, मैनेजमेंट कॉलेज, साथ ही उदय प्रताप स्वायत्तशासी कॉलेज संचालित किया जाता है. सभी को मिलाकर कुल 15 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं यहां अध्ययन करते हैं. कालेज़ परिसर में प्रवेश करते ही तकरीबन 100 मीटर की दूरी पर एक मस्जिद भी स्थित है जिस पर आसपास के लोग नमाज अदा करने जाते हैं.
साल 2018 में भोजूबीर के रहने वाले वसीम अहमद नामक एक व्यक्ति द्वारा लखनऊ स्थित वक्फ बोर्ड कार्यालय में एक आवेदन दाखिल किया गया था जिसमें उन्होंने कॉलेज की संपत्ति को वक्फ की प्रॉपर्टी बताया था. इस आवेदन के आधार पर सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा 2018 में उदय प्रताप कॉलेज प्रबंधन को एक नोटिस जारी किया गया था. इस नोटिस का जवाब देते हुए कॉलेज प्रबंधन द्वारा कहा गया कि मस्जिद अवैध तरीके से बनी है. मस्जिद का कोई कागजात नहीं है, जबकि कॉलेज की संपत्ति इंडाउमेंट ट्रस्ट की है जो जमीन न खरीदी जा सकती है नाही बेची जा सकती है. ऐसे में यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है.
CM योगी ने की थी यूनिवर्सिटी बनाने की बात
कुछ दिन पहले वाराणसी दौरे पर पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ खुद उदय प्रताप कॉलेज के 115वें स्थापना दिवस पर परिसर में पहुंचे थे. उन्होंने इसी कॉलेज को आने वाले समय में यूनिवर्सिटी बनाने की बात कही थी. अब इस कॉलेज परिसर के वक्फ संपत्ति वाले दावे को लेकर छात्र काफी नाराज है. उन्होंने कहा है कि किसी भी हाल में हम कॉलेज की संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं होने देंगे.