उत्तराखंड: अवैध धर्मांतरण पर धामी सरकार ने बनाया कानून, 20 साल तक होगी सजा

उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने अवैध धर्मांतरण पर सख्त रुख अपनाते हुए बुधवार (13 अगस्त) को उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक,2025 को मंजूरी दे दी. जिसके तहत गंभीर मामलों में आजीवन कारावास तक की सजा और भारी जुर्माने जैसे प्रावधान जोड़े गए हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस विधेयक को मंजूरी दी गई.

बताया जा रहा है कि विधेयक के तहत अवैध धर्मांतरण पर कड़ी सजा के अलावा डिजिटल माध्यम से प्रचार पर रोक और पीड़ितों के संरक्षण के कठोर प्रावधान जोड़े गए हैं. विधेयक में प्रलोभन की परिभाषा को विस्तृत करते हुए उपहार, नकद/वस्तु लाभ, रोजगार, निःशुल्क शिक्षा, शादी का वादा, धार्मिक आस्था को आहत करना या दूसरे धर्म का महिमामंडन, सभी को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है.

आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान

इसमें डिजिटल साधनों पर रोक लगाते हुए सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या किसी भी ऑनलाइन माध्यम से धर्मांतरण के वास्ते प्रचार करने या उकसाने जैसे कार्यों को दंडनीय बनाए जाने का प्रावधान है.विधेयक के तहत कठोर सजा का प्रावधान है जिसमें सामान्य उल्लंघन पर तीन से 10 वर्ष, संवेदनशील वर्ग से जुड़े मामलों में पांच से 14 वर्ष तथा गंभीर मामलों में 20 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है.

मुख्य बिंदु:

1. प्रलोभन की विस्तृत परिभाषा उपहार, नकद/वस्तु लाभ, रोजगार, निःशुल्क शिक्षा, विवाह का वचन, धार्मिक आस्था को आहत करना या दूसरे धर्म का महिमामंडन सभी को अपराध की श्रेणी में शामिल. 2. डिजिटल साधनों पर रोक सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या किसी भी ऑनलाइन माध्यम से धर्मांतरण हेतु प्रचार/उकसावा दंडनीय. 3. कठोर सजा सामान्य उल्लंघन पर 310 वर्ष, संवेदनशील वर्ग से जुड़े मामलों में 514 वर्ष, गंभीर मामलों में 20 वर्ष से आजीवन कारावास तक सजा और भारी जुर्माना. 4. छद्म पहचान कर विवाह धर्म छिपाकर विवाह पर सख्त दंड. 5. पीड़ित के अधिकार संरक्षण, पुनर्वास, चिकित्सा, यात्रा व भरण-पोषण व्यय की व्यवस्था.

नाबालिग या व्यक्ति की तस्करी करना भी सजा के दायरे में

छद्म पहचान बनाकर या धर्म छिपाकर विवाह पर सख्त दंड तथा पीड़ित के संरक्षण, पुनर्वास, चिकित्सा, यात्रा व भरण-पोषण व्यय की व्यवस्था को विधेयक में शामिल किया गया है.उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन कर सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती का प्रावधान किया गया. इनका विचारण सत्र न्यायालय में किया जाएगा. संशोधन के मुताबिक कोई धर्म परिवर्तन करने के लिए किसी व्यक्ति को जीवन या संपत्ति के लिए भय में डालता है तो उसे कम से कम 20 साल की सजा होगी. इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. इसमें धर्म परिवर्तन के लिए हमला करने, बल प्रयोग करने,शादी या विवाह का वचन देना भी शामिल होगा. इसके अलावा किसी नाबालिग या व्यक्ति की तस्करी करना और बेचना भी इसी सजा के दायरे में आएगा. ऐसे अपराधी पर जुर्माना पीड़ित की चिकित्सा पूर्ति या पुनर्वास करने के लिए हो सकता है.

राज्य सरकार ने कहा कि यह कानून नागरिकों के धार्मिक अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए, धोखाधड़ी, प्रलोभन या दबाव से होने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाएगा और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखेगा.

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