उत्तराखंड (Uttarakhand) के उत्तरकाशी टिहरी बॉर्डर पर 15 बजार फीट की ऊंचाई पर सहस्त्रताल ट्रैक में बड़ा हादसा हो गया है. इसमें अब तक करीब 9 लोगों के मौत की पुष्टि हो चुकी है. जानकारी के मुताबिक मौत के आंकड़ों में बढ़ोतरी हो सकती है. हादसे के बाद 13 लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है. पांच शवों को पहुंचा दिया गया है, जबकि 4 शव पहुंचाए जाने बाकी हैं. मंगलवार शाम करीब 4 बजे उत्तरकाशी और टिहरी आपदा प्रबंधन केंद्र के फोन की घंटियां बजने लगीं और खबर मिली कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के रहने वाले 22 ट्रैकर रहने वाले हैं और सहस्त्रताल ट्रैक से लौटते वक्त कुफरी टॉप पर खराब मौसम की वजह से फंस गए हैं.
कर्नाटक, महाराष्ट्र से आए ये ट्रैकिंग ग्रुप, 29 मई से ट्रैक शुरू किया था और 7 जून तक वापसी करनी थी. हादसे के बाद ट्रैकर्स के गाइड ने तुरंत मदद के लिए सरकार से सहायता मांगते हुए पत्र लिखा. इसके बाद उत्तरकाशी और टिहरी प्रशासन ने अपने-अपने जिलों से NDRF की टीमों को साज-ओ-सामान के साथ बचाव कार्य के लिए बेस कैंप पर रवाना किया, जहां से सहस्त्रताल ट्रैक की चढ़ाई शुरू होती है. इसके साथ ही 22 ट्रैकर्स में से दो व्यक्ति जो की बीमार पड़ गए थे वह ‘कुछ कल्याण बेस’ कैंप वापस आ गए. रेस्क्यू टीम की मदद से 13 लोगों को बेस कैंप लाया गया.
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, मौके पर स्टाफ तैनात
जानकारी के मुताबिक मौजूदा वक्त में घटनास्थल पर मौसम साफ है. नटीण हेलीपैड पर रेस्क्यू के लिए जरूरी वाहन और स्टाफ तैनात किए गए हैं. मातली हेलीपैड में एक एंबुलेंस तैनात की गई है. NDRF के जवान मातली हेलीपैड पर तैनात हैं. नायब तहसीलदार भटवाड़ी, राजस्व उप निरीक्षक भटवाड़ी नटीण में तैनात है.
हादसे पर CM धामी ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आजतक से बातचीत में कहा, ‘यह दुखद घटना है और हमने SDRF और बचाव रक्षक दल को रेस्क्यू के लिए भेजा है और जो भी जरूरत पड़ेगी, उसको हम लगाएंगे, वायु सेना की मदद ली जा रही है. लोगों को बचाने की कोशिश की जाएगी.’
SDRF कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने आजतक को बताया, ‘प्रशासन को सूचना मिली थी कि करीब 22 लोग कुफरी टॉप पर फंसे हुए हैं. इसके बाद टीमों को भेजा गया. वायु सेवा की मदद ली जा रही है. अब तक 10 लोगों को देहरादून लाया जा चुका है और बाकी घायलों का उत्तरकाशी में इलाज चल रहा है. वहीं मृतकों को भी लाने की कवायत जारी है.
ट्रैकर ने बताया भयावह मंजर
अस्पताल में मौजूद एक ट्रैकर स्मृति डोलस ने बताया कि घटना वाले दिन ट्रैकर्स वापस लौट रहे थे. जिस जगह पर वो फसे थे, वहां बर्फबारी हो रही थी और अचानक 90 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से तेज हवाएं चलीं, जिससे हम लोग वहां फस गए.