वडोदरा शहर में 7 मार्च 2024 को एक दर्दनाक हादसा हुआ था. जब एक स्पोर्ट्स बाइक सवार ने ड्यूटी करके घर जा रही एक युवती को टक्कर मार दी. हादसे को आज 88 दिन हो गए हैं, अभी भी घायल लड़की कोमा में है और अस्पताल में इलाज चल रहा है. परिवार का आरोप है कि इस मामले में लक्ष्मीपुरा पुलिस की ओर से गंभीर लापरवाही बरती गई है. उनका कहना है कि पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है और खुद पुलिस अधिकारी ने जांच अधिकारी की ढिलाई को स्वीकार किया है.
इस घटना से साफ है कि आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं है. क्योंकि, 88 दिनों तक कोमा में रहने वाली नैन्सी बाविसी किसी बिजनेसमैन, नेता या सरकारी अधिकारी की बेटी नहीं हैं. इसलिए पुलिस की जांच धीमी गति से हो रही थी. हालांकि, इस मामले में परिवार द्वारा पुलिस पर आरोप लगाने की खबरें मीडिया में प्रकाशित होने के बाद अब वडोदरा पुलिस जाग गई है.
वडोदरा में 88 दिन पहले हुए हादसे को लेकर आज एसीपी आरडी कावा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि हादसा 7 मार्च को लक्ष्मीपुरा इलाके में हुआ था. दुर्घटना की शिकार नैन्सी बाविसी दोपहिया वाहन पर काम से घर लौट रही थी, तभी एक स्पोर्ट्स बाइक सवार ने उसका एक्सीडेंट कर दिया. इस दुर्घटना में नैंसी सड़क पर जा गिरी और उसके सिर पर गंभीर चोटें आईं. तो उसे तुरंत 108 के माध्यम से इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया.
इस मामले में लक्ष्मीपुरा पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया लेकिन कार्रवाई क्या होती है यह देखने वाली बात होगी. इस मामले में एसीपी आरडी कावा का कहना है कि दुर्घटना करने वाला नाबालिग है, इसलिए किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है. चूंकि आरोपी नाबालिग है, इसलिए उसे धारा 41ए के तहत नोटिस भेजा गया है. नोटिस के अनुसार कार्रवाई की गई है. इसका एक रिकॉर्ड है. नोटिस गिरफ्तारी का एक रूप है, लेकिन चूंकि वह किशोर है, इसलिए पुलिस उसे हिरासत में नहीं ले सकती. एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है.
उन्होंने आगे कहा कि बाइक चालक के पिता के विरुद्ध न्यायालय में धारा जोड़ने की कार्रवाई की गयी है. उस जोड़ को न्यायालय में दाखिल कराने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी, उसके पिता को नोटिस दे दिया गया है. कोर्ट में धारा जोड़ने की रिपोर्ट दी गई है. कोर्ट का फैसला आने के बाद हम कार्रवाई करेंगे. बाइक नाबालिग के पिता की है. इस मामले में आईओ की ओर से ढिलाई के कुछ प्रशासनिक कारण होंगे. जांच के लिए कोई समय अवधि नहीं है. यदि जांच में खामी मिली तो निश्चित कार्रवाई की जाएगी.
एसीपी आरडी कावा ने भी कहा कि परिवार का आरोप और गुस्सा कुछ हद तक जायज होगा, लेकिन पुलिस ने जो कार्रवाई की है, वह समय-समय पर की गई है. उदाहरण के लिए, क्या बोगबन्नार बयान देने के लिए सक्षम स्थिति में है? इसमें काफी समय भी लगा, डॉक्टर से चार से पांच बार संपर्क किया गया. ऐसे ही कारणों से जांच में देरी हुई है…इस मामले में आईओ से जांच कराई जाएगी.