vaidik mantra: ईश्वर को पाने का सबसे उत्तम तरीका मंत्र होता है. हर मंत्र अपने अंदर कुछ ईश्वरीय गुण समेटे रहता है. सनातन धर्म के वैदिक मंत्र दिव्य शक्तियों से भरपूर होते हैं. भक्त और भगवान को शीघ्र जोड़ने का सबसे उत्तम और सरल साधन यही मंत्र होते हैं. ये वैदिक मंत्र तमाम शारीरिक और मानसिक परेशानियों से छुटकारा पाने में बहुत कारगर हैं. हिंदू धर्म में आदिकाल से ही मंत्रों का अलग ही महत्व रहा है. आज हम आपको मंत्रों की शक्ति और रहस्य बताने वाले हैं.
क्या होते हैं मंत्र?
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
मंत्र कुछ विशेष प्रकार के शब्दों की एक संरचना है. इनका विधि पूर्वक जाप करने से हर सुख, समृद्धि और सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं. यहां तक कि सिद्ध मंत्रों के जाप से मुक्ति और मोक्ष भी पाया जा सकता है. मंत्र वास्तव में दो शब्दों के ही होते हैं, जिनका श्वास-प्रश्वास पर जाप किया जा सके. बाकी जिनको हम मंत्र समझते हैं वो या तो ऋचाएं हैं या श्लोक. बीज मंत्र के साथ प्रयोग करने पर ऋचाएं और श्लोक भी पर्याप्त लाभकारी होते हैं. मंत्र दो तरह के होते हैं- एक सामान्य मंत्र और एक व्यक्तिगत मंत्र.
क्या है मंत्रों का विज्ञान?
मंत्र में जिन शब्दों का प्रयोग होता है, उनकी एक विशेष रंग और तरंग होती है. आपके शरीर के साथ जब इन रंग और तरंग का तालमेल बैठता है, तभी मंत्र लाभ करते हैं. अगर तालमेल नहीं बैठता तो इनका जाप नुकसान कर सकता है और मनोदशा को परिवर्तित कर सकता है. हमेशा अपने मनोदशा और तत्वों को देखकर ही मंत्रों का चुनाव किया जाना चाहिए. कभी भी किसी मंत्र का प्रयोग किसी बुरे भावना से नहीं करना चाहिए. अन्यथा क्रिया प्रतिक्रिया का नियम स्वयं को ही नुकसान करेगा.
मंत्रों का प्रभाव
मंत्र के हर शब्द के अंदर एक रंग और विशेष तरंग होती है. इसी प्रकार से हर व्यक्ति की भी रंग और तरंग होती है. जब ये शब्द व्यक्ति के रंग और तरंग से मेल खाते हैं तो मंत्र काम करते हैं. सबसे पहले मंत्र शरीर, फिर मन और उसके बाद आत्मा पर असर डालते हैं. इनका असर शरीर में स्थित चक्रों के माध्यम से होता है.
क्या है मंत्रों के जाप के नियम और सावधानियां?
मंत्र जाप के लिए स्थान, समय और आसन एक ही होना चाहिए. मंत्र जाप की शुरुआत किसी भी पूर्णिमा या अमावस्या से करनी चाहिए. मंत्र जाप के लिए सफेद या काले रंग का आसन उत्तम होता है. वैसे विशेष उद्देश्य के लिए विशेष आसन का प्रयोग भी कर सकते हैं. मंत्र जाप के लिए चन्दन या रुद्राक्ष की माला प्रयोग करें. माला न हो तो अंगुलियों से भी मंत्र जाप कर सकते हैं. मंत्र जाप के बाद कम से कम 15 मिनट तक जल स्पर्श न करें.