वैकुंठ एकादशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान विष्णु को समर्पित है. यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का एक प्रमुख माध्यम माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. वैकुंठ एकादशी के दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है और मन शुद्ध होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इसके अलावा जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है.
पंचांग के अनुसार, वैकुंठ एकादशी की तिथि 09 जनवरी 2025 को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट शुरू हो चुकी थी और 10 जनवरी 2025 को सुबह 10 बजकर 19 मिनट समाप्त होगी. उदयातिथि के आधार पर व्रत 10 जनवरी 2025, शुक्रवार को रखा जा रहा है और इस व्रत का पारण 11 जनवरी को सूर्योदय के बाद किया जाएगा.
पारण की विधि
- वैकुंठ एकादशी व्रत का पारण एकादशी तिथि के बाद द्वादशी तिथि को किया जाता है.
- पारण हमेशा सूर्योदय के बाद करना ही शुभ माना जाता है.
- वैकुंठ एकादशी व्रत के पारण से पहले शुद्ध जल से स्नान करें.
- भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें प्रणाम करें.
- पारण का संकल्प लें और सात्विक भोजन करें.
- किसी गरीब और जरूरतमंद को दान अवश्य दें.
पारण के नियम
- पारण के लिए सात्विक भोजन का सेवन करें. इसमें फल, दूध, दही, पनीर आदि शामिल होना चाहिए.
- पारण के समय चावल खाना शुभ माना जाता है.
- पारण के समय मांस, मछली, अंडे, प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
- पारण के समय शांत वातावरण में बैठकर भोजन करें.
- मन में किसी भी प्रकार का द्वेष या ईर्ष्या न रखें.
- पारण के बाद ब्राह्मण को दान जरूर दें.
पारण का महत्व
वैकुंठ एकादशी व्रत का पारण करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और पारण करने से शरीर और मन को शक्ति मिलती है. शुभ मुहूर्त में पारण करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और लोगों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. इसके अलावा भगवान विष्णु लोगों की पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा आशीर्वाद देते हैं और लोगों को जीवन में आने वाली परेशानियों से लड़ने में सक्षम बनाते हैं.