वाराणसी: दुनिया की पहली क्लोन भेड़ डॉली के ‘घर’ स्कॉटलैंड के रोसलिन इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. ब्रूस व्हाइट लॉ 28 से 30 नवंबर तक काशी में रहेंगे. बीएचयू में आयोजित जेनेटिक्स, पुरातत्व और फोरेंसिक विशेषज्ञों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘एडनेट’ में भाग लेंगे. इसमें विश्व के सौ और भारत के दो सौ वैज्ञानिक डीएनए तकनीकी पर नई विधाओं पर चर्चा करेंगे.
बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग की तरफ से ‘एडनेट’ का दूसरे वर्ष का आयोजन हड़प्पा सभ्यता के सौ साल को समर्पित होगा. सम्मेलन के संयोजक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि, दुनियाभर से जुटे विशेषज्ञ और वैज्ञानिक मानव स्वास्थ्य पर पुरातत्व, जेनेटिक्स और फोरेंसिक साइंस के प्रभाव पर चर्चा करेंगे. इसमें प्रो. ब्रूस व्हाइट लॉ दुनिया की एक नई विधा ‘इंजीनियरिंग बायोलॉजी’ के बारे में बताएंगे. इस विधा के जरिए बायोलॉजी में भी इंजीनियरिंग की तकनीकों की मदद ली जा रही है. इसके साथ ही रोसलिन इंस्टीट्यूट के नए प्रोजेक्ट पर भी वह चर्चा करेंगे, जिसमें समुद्र में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं के डीएनए के रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं.
अजनाला नरसंहार में मारे गए भारतीय सैनिकों की तलाश और पहचान करने वाले पंजाब के पत्रकार सुरेंद्र कोचर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि होंगे. इनके अलावा नेशनल सेंटर ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज बंगलोर के निदेशक प्रो. एलएस शशिधरा, एंथ्रोपोलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक प्रो. बीवी शर्मा, नेशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट अमेरिका के निदेशक प्रो. एरिक ग्रीन, यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलिवेनिया के पुरातत्व अनुवांशिकी विशेषज्ञ प्रो. इयान मैथाइसन, राखीगढ़ी मैन प्रो. वसंत शिंदे विशिष्ट विशेषज्ञता पर व्याख्यान देंगे. अफ्रीका से ऑस्ट्रेलिया के लिए पैदल निकले पॉल सेलोपिक भी सम्मेलन के एक सत्र को जापान से ऑनलाइन संबोधित करेंगे. सेलोपिक पांच साल पहले अपनी यात्रा के दौरान काशी से भी गुजर चुके हैं.