CG के डेंटल हॉस्पिटल में बेहद मुश्किल हालात, सैलरी के लिए तरस रहे डॉक्टर, 5 महीनों से बिना वेतन कर रहे इलाज

छत्तीसगढ़ के एकमात्र सरकारी डेंटल कालेज अपने डाक्टरों को वेतन भी नहीं दे पा रहा है। कालेज के 47 संविदा डाक्टरों में से लगभग 30 डाक्टर कई महीनों से अपने वेतन का इंतजार कर रहे हैं। किसी को दो महीने से तो किसी को पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। ये डाक्टर दांत और जबड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियों का इलाज करते हैं और अस्पताल की रीढ़ हैं। वेतन न मिलने के बावजूद भी वे अपनी ड्यूटी पर रोज आ रहे हैं, लेकिन यह स्थिति उनके मनोबल को तोड़ रही है।

प्रशासनिक पेच में फंसा डाक्टरों का भविष्य

डाक्टरों को वेतन न मिलने का मुख्य कारण शासन स्तर पर संविदा रिन्यूवल की प्रक्रिया का अटक जाना है। नियमों के अनुसार, संविदा पर नियुक्त डाक्टरों की सेवा हर साल नवीनीकृत की जाती है। इस साल भी नवीनीकरण के लिए फाइल शासन को भेजी गई थी, लेकिन प्रशासनिक देरी के चलते यह प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है। इस देरी का खामियाजा उन डाक्टरों को भुगतना पड़ रहा है, जो अपने परिवार की जिम्मेदारियां, बच्चों की पढ़ाई और घर का किराया जैसे जरूरी खर्चे उठाने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। इस संकट ने न सिर्फ उनके आर्थिक जीवन पर असर डाला है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला है।

कर्तव्य पर अडिग, मनोबल टूट रहा

आर्थिक दबाव के बावजूद, ये डाक्टर अपने कर्तव्य का पूरी निष्ठा से पालन कर रहे हैं। अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इलाज की गुणवत्ता बनाए रखने की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं संविदा डाक्टरों पर है। एक डाक्टर ने अपनी पहचान न बताने की शर्त पर बताया, “हमारा काम मरीजों को राहत देना है, लेकिन जब खुद की आर्थिक स्थिति खराब हो तो काम पर ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है। हम बस इस उम्मीद में आते हैं कि शायद आज वेतन मिल जाएगा।” उनका कहना है कि लंबे समय तक वेतन न मिलने से उनके लिए रोजमर्रा के खर्चे पूरे करना भी एक चुनौती बन गया है।

HOD की जिम्मेदारी भी संविदा डाक्टरों के कंधों पर

यह जानकर हैरानी होती है कि कुछ प्रमुख विभागों का दारोमदार भी संविदा डाक्टरों के कंधों पर है। उन्हें विभागाध्यक्ष (HOD) बनाया गया है। ओरल डायग्नोसिस और सर्जरी जैसे महत्वपूर्ण विभाग, जहां हर दिन सैकड़ों मरीज पहुंचते हैं, उनकी जिम्मेदारी भी संविदा में कार्यरत डाक्टर संभाल रहे हैं। यह स्थिति कालेज में नियमित फैकल्टी की कमी को भी उजागर करती है। हालांकि, डेंटल कालेज के प्रिंसिपल ने संविदा डाक्टरों को किसी भी बड़ी जिम्मेदारी नहीं देने की बात कही।

चिकित्सा शिक्षा आयुक्त शिखा राजपूत तिवारी ने कहा कि संविदा डाक्टरों के रिन्यूवल का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही सभी डाक्टरों के रिनीवल की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

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