नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के सीनियर लीडर लाल कृष्ण आडवाणी को एम्स अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. उन्हें बीती रात तबीयत बिगड़ने पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों के मुताबिक, बीजेपी नेता की हालत स्थिर है. एम्स मीडिया सेल की प्रभारी डॉक्टर रीमा दादा ने बताया कि आडवाणी जी को डॉक्टर अमलेश सेठ की निगरानी में भर्ती किया गया था. उनकी सभी जांच करने के बाद हालत स्थिर होने पर छुट्टी दे दी गई है. उन्हें रूम नंबर 201 ओल्ड प्राइवेट वार्ड में रखा गया था.
हाल ही में बीजेपी के कद्दावर नेता लाल कृष्ण आडवाणी को 30 मार्च, 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी ने भारत रत्न से सम्मानित किया था. 97 साल के आडवाणी पिछले काफी समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं जानकारी के मुताबिक डॉक्टर्स की टीमें घर पर ही उनका मेडिकल चेकअप करती आ रही हैं, बुधवार रात तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें एम्स अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टर्स की टीम ने कहा था कि उनकी हालत स्थिर है.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
रात करीब 10 बजे बिगड़ी तबीयत
आडवाणी की तबीयत अचानक रात 10 बजे के करीब बिगड़ गई. उसके बाद उन्हें तुरंत दिल्ली एम्स लाया गया और 10:28 पर एम्स में भर्ती कर लिया गया. इससे पहले अधिक उम्र होने के चलते उनकी घर पर ही नियमित स्वास्थ्य जांच डॉक्टर के द्वारा की जाती रही है. एम्स मीडिया सेल की प्रभारी डॉक्टर रीमा दादा ने बताया था कि आडवाणी जी डॉक्टर अमलेश सेठ की निगरानी में भर्ती हैं और उनकी हालत अभी स्थिर है. उन्हें रूम नंबर 201 ओल्ड प्राइवेट वार्ड में रखा गया था. उल्लेखनीय है कि 96 वर्षीय आडवाणी जी अपनी बेटी प्रतिभा आडवाणी के साथ पृथ्वीराज रोड स्थित सरकारी बंगले में रहते हैं. अप्रैल 2016 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी पत्नी कमला आडवाणी का निधन हो गया था.
बीजेपी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं आडवाणी
8 नवंबर, 1927 को कराची (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मे, आडवाणी 1942 में एक स्वयंसेवक के रूप में आरएसएस में शामिल हुए. उन्होंने 1986 से 1990 तक, फिर 1993 से 1998 तक और 2004 से 2005 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, बता दें कि लाल कृष्ण आडवाणी देश के सातवें उपप्रधानमंत्री रहे हैं, जबकि साल 1998 से लेकर 2004 तक सबसे अधिक समय तक वह देश के गृहमंत्री भी रहे हैं. बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक आडवाणी बीजेपी के अध्यक्ष रहने के अलावा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं.
पाकिस्तान छोड़ मुंबई में बस गया था परिवार
सिंधी परिवार में जन्मे आडवाणी देश का बंटवारा होने के बाद मुंबई में बस गए थे, पाकिस्तान छोड़ परिवार मुंबई आया तो मुंबई से उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी की और फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए. इसके बाद वह जनसंघ से जुड़े और 1973 में जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. फिर जब अटल बिहारी वाजपेई ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया तो वह वाजपेई के साथ बीजेपी के सह संस्थापक भी रहे.
अयोध्या में राम मंदिर के लिए निकाली रामजन्म भूमि यात्रा
गुजरात के गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र का उन्होंने लंबे समय तक प्रतिनिधित्व किया है. वह नई दिल्ली लोकसभा सीट से भी सांसद रहे हैं. इसी साल राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने उन्हें घर पर जाकर देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था. उनको भारत रत्न से सम्मानित करने के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे. लालकृष्ण आडवाणी ने वर्ष 1990 में अयोध्या राम मंदिर बनाने के लिए राम जन्मभूमि यात्रा निकाली थी. इसके बाद देश में एक हिंदूवादी नेता की उनकी छवि बनी थी. यात्रा के दौरान उन्हें बिहार में गिरफ्तार भी किया गया था. वह पहली बार वर्ष 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए थे. आडवाणी 1967 में दिल्ली की पहली महानगर परिषद के अध्यक्ष भी रहे हैं.
पहले गृहमंत्री फिर उपप्रधानमंत्री का पद संभाला
बीजेपी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 2009 के चुनावों से पहले, संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष के नेता होने के नाते, 16 मई 2009 को खत्म होने वाले आम चुनावों के लिए आडवाणी को भाजपा का प्रधान मंत्री पद का उम्मीदवार माना जाता था.
2009 में पीएम पद के उम्मीदवार घोषित हुए
10 दिसंबर 2007 को, भाजपा के संसदीय बोर्ड ने औपचारिक रूप से 2009 में होने वाले आम चुनावों के लिए आडवाणी को प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित किया. लेकिन जब कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने 2009 के आम चुनावों में जीत हासिल की, तो आडवाणी ने सुषमा स्वराज के 15वीं लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने का मार्ग प्रशस्त किया. साल 2009 में आडवाणी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे लेकिन चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने वर्ष 2014 में अंतिम बार लोकसभा का चुनाव लड़ा.