भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार (7 जून, 2025) को हिमाचल प्रदेश के सोलन में डॉ. वाईएस परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय पहुंचे. विश्वविद्यालय में विकसित भारत के मार्ग पर चर्चा के दौरान उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि आजकल जब हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की चर्चा करते हैं, तो युवा पीढ़ी भाग्यशाली है क्योंकि वे एग्रीकल्चर इंटेलिजेंस (Agriculture Intelligence) से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) की यात्रा कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और एग्रीकल्चर इंटेलिजेंस ही वो माध्यम है जो ग्रामीण व्यवस्था के अंदर क्रांतिकारी बदलाव लाएगा.” उपराष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा, “विकसित भारत का रास्ता एक ही तरीके से जाएगा और वो किसान के खेत से है और वो तभी होगा जब आप किसान का हाथ पकड़ेंगे.” उन्होंने किसानों को केवल अन्नदाता ही नहीं बल्कि भाग्य विधाता कहकर संबोधित किया.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
दुनिया की बड़ी संस्थाओं में भारतीय नेतृत्व की उपराष्ट्रपति ने की सराहना
एक्सपोर्ट की मानसिकता पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, “मुझे बड़ी परेशानी होती है जब लोग कहते हैं कि यह एक्सपोर्ट माल है, यह एक्सपोर्ट के लिए है, भाई, क्यों? सबसे अच्छा तो हमको खाना है, सबसे अच्छा तो हमको पहनना है.” उन्होंने गर्व से कहा कि आज दुनिया की बड़ी संस्थाओं में भारतीय नेतृत्व कर रहे हैं और विशेष रूप से महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना की.
उपराष्ट्रपति ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना में वृद्धि की बात की मांग की
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना पर बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से अनुरोध किया कि वर्तमान में मिलने वाली 6,000 रुपये की राशि में मुद्रास्फीति के अनुपात में वृद्धि होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि सहायता सीधी किसान को मिलती है. जो भी कृषि क्षेत्र को अप्रत्यक्ष वित्तीय सहायता को मिल रही है वो यदि अगर सीधी किसान परिवारों को मिलती है तो हर किसान परिवार मेरा आंकलन है और मेरा आंकलन अध्ययन के पश्चात है, जहां 6000 रुपये पीएम किसान निधि के मिल रहे हैं, उसमें 30,000 रुपये सालाना जुड़ेंगे.”
ग्रामीण लड़के-लड़कियों को मिलना चाहिए उद्यमी और कृषि उद्यमी बनने का प्रशिक्षण
वहीं, प्रत्यक्ष सब्सिडी के फायदों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “यदि फर्टिलाइजर सब्सिडी सीधे किसानों को मिले तो किसान तय करेगा कि मैं वो फर्टिलाइजर खरीदूं या पशुधन कर गोबर की खाद का उपयोग करूं. किसान सोचेगा मैं ऑर्गैनिक कृषि करूं, नैचुरल फ़ार्मिंग करूं, किसान स्वयं इसका निर्धारण करे.”
कार्यक्रम में ग्रामीण उद्यमिता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “कृषक समुदाय के ग्रामीण लड़के और लड़कियों को उद्यमी, कृषि उद्यमी बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. उनकी फौज खड़ी होनी चाहिए.” उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां किसान परिवारों की औसत आमदनी आम परिवारों से अधिक है और इसका कारण यह है कि सरकारी मदद सीधे किसानों को मिलती है.”
मूल्य संवर्धन की आवश्यकता पर बल देते हुए धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ग्रामीण व्यवस्था की ओर ध्यान देना पड़ेगा. गांव में सब्जी शहर से आती है, फल शहर से आते हैं. यह कैसे हम देश में बर्दाश्त कर सकते हैं कि टमाटर ज्यादा हो गया तो टमाटर सड़कों पर जाएगा?” उन्होंने खेत पर ही मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण की जरूरत पर जोर दिया.
इस कार्यक्रम के अवसर पर सांसद सुरेश कुमार कश्यप, हिमाचल प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, डॉ. वाईएस परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल और अन्य लोग उपस्थित रहे.