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आलीराजपुर में ग्राम सभाएं संभाल रही मोर्चा, मतांतरित आदिवासियों की घर वापसी बनी मिशन

पश्चिमी मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके आलीराजपुर में मतांतरण जैसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर अब ग्राम सभाएं सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। पेसा अधिनियम के तहत गठित ग्राम स्तरीय समितियां धर्म परिवर्तन रोकने और मूल संस्कृति से भटके हुए लोगों को समझाइश देकर पुनः घर वापसी कराने में जुटी हैं।

ग्राम पंचायत करजवानी के दुधवी गांव में हाल ही में उकारिया पुत्र कदवा अपने पूरे परिवार के साथ सनातन धर्म में लौटे। इस निर्णय में ग्राम सभा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। पंचायत प्रतिनिधियों के अनुसार यह केवल एक परिवार की वापसी नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना की मजबूती का प्रतीक है।

ग्राम पंचायत मथवाड़ में रविवार को प्रस्ताव पर चर्चा होगी, जिसमें मतांतरण कर चुके परिवारों को सम्मानपूर्वक मूल धर्म में लौटाने की प्रक्रिया ग्राम सभा के निर्णय से पूरी की जाएगी। प्रस्ताव पेसा अधिनियम के प्रावधानों के तहत पारित किया जाएगा।

पूर्व सरपंच और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी गांव-गांव जाकर ऐसे परिवारों से संवाद कर रहे हैं, जो अपनी मूल संस्कृति से दूर हो गए थे। अधिकतर परिवार गरीब और बीमार थे, जिन्हें लालच या दबाव में धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया गया था। अब समझाइश के माध्यम से लोग अपनी जड़ों की ओर लौटने को तैयार हो रहे हैं।

सोंडवा जनपद पंचायत अध्यक्ष रेवली उषानसिंह गरासिया ने बताया कि कई ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभाएं आयोजित की जा रही हैं। पेसा एक्ट के तहत ग्राम सभा को दिए गए विशेष अधिकारों का उपयोग करते हुए धर्म परिवर्तन रोकने और लोगों को उनके मूल धर्म में लौटाने की दिशा में कार्य हो रहा है। पंचायतें सुनिश्चित कर रही हैं कि कोई भी परिवार डर या लालच में अपनी संस्कृति से दूर न हो।

जिले के पेसा समन्वयक प्रवीण कुमार चौहान के अनुसार, अब तक 607 ग्राम सभाओं में समितियां सक्रिय हो चुकी हैं। ये समितियां केवल अधिकारों की जानकारी ही नहीं फैला रही हैं, बल्कि सांस्कृतिक सुरक्षा को लेकर भी सजग हैं। कई ग्राम सभाओं ने विधिवत प्रस्ताव पारित कर ‘घर वापसी’ अभियान को समर्थन दिया है।

पेसा अधिनियम के तहत गठित समितियां जमीनी स्तर पर न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक चेतना का केंद्र बन रही हैं। ग्राम स्तरीय मोबिलाइज़र और ब्लॉक समन्वयक लोगों को संवैधानिक अधिकारों की जानकारी दे रहे हैं और ग्राम सभाएं सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए सक्रिय हो चुकी हैं। इस पहल से क्षेत्र में सामाजिक समरसता और जनभागीदारी को भी बल मिला है।

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