कांकेर में मछलियां पकड़ने का ग्रामीणों ने एक नया तरीका इजाद किया है. इसमें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती..कांकेर से करीब 50 किमी दूर ऊंचपानी के ग्रामीणों ने मछली पकड़ने का देशी जुगाड़ से बांस से बुना जाल बनाया है. ऊंच पानी गांव के नाले में बल्लियों के सहारे एक बांस की चटाई नुमा आकृति बनाई है.
10 से 15 फीट लंबे बांस में मच्छरदानी को बांध दिया जाता है.मछली पकड़ने का यह तरीका रूरल इनोवेशन का ही एक रूप है.बांस की चटाई नुमा आकृति के ऊपर मच्छरदानी बांध दिया जाता है. नाले में बहते पानी की लहर के साथ आई मछलियां इस जाल में फसकर इकट्ठी होती रहती है.इस रूरल इनोवेशन के प्रयोग से ग्रामीण एक दिन में 10 से 20 किलो मछलियां पकड़ लेते हैं.
ऊंचपानी गांव के ग्रामीण राजऊ राम नरेटी बताते है. यह तकनीक हमारे पूर्वजों से चली आ रही है. हमारे बुजुर्ग भी इसी तरह मछली पकड़ने जाल बिछाया करते थे. इसे स्थानिय भाषा मे झारा कहते है. इसे हमने दो दिन में बनाया है. बल्ली-बांस और मच्छरदानी का इसमे प्रयोग करते है. यह पकड़ी गई मछली सामूहिक रूप से गांव में बंटता भी है. यह नाले में नही बल्कि आस-पास के दर्जनों गांव में अपने खेतों के नाले में भी इस तकनीक का प्रयोग के मछली पकड़ते है. बताते चले कि बस्तर में मछली पकड़ने का यह परम्परागत तरीका है. ग्रामीणों के बनाए इस जाल को अब जिले के बाकी जगहों से भी लोग देखने को आ रहे है.