ग्रामीणों का तर्क है कि अगर यहां हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी बनती है, तो न केवल उनका दैनिक जीवन प्रभावित होगा, बल्कि गांव के पर्यावरण और सामाजिक ढांचे पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. इसके साथ ही, उनके गांव के प्राकृतिक संसाधनों और भूमि का उपयोग भी सीमित हो जाएगा, जो उनकी पारंपरिक जीवनशैली के लिए आवश्यक हैं.
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि ग्रामीणों ने पहले ही कई बार इस भूमि के महत्व के बारे में संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया है और वे इसे किसी भी हालत में गृह निर्माण मंडल को नहीं देना चाहते. उन्होंने कलेक्टर से मांग की है कि इस परियोजना पर पुनः विचार किया जाए और इसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं.
ग्रामीणों का यह विरोध प्रदर्शित करता है कि वे अपनी भूमि और जीवनशैली की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से आवाज उठा रहे हैं और किसी भी तरह के सरकारी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं जो उनकी मौलिक आवश्यकताओं और अधिकारों पर असर डालता हो.