बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण SIR मामले पर भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया. आयोग नेकांग्रेस, राजद समेत अन्य राजनीतिक दलों की ओर से दायर याचिका में लगाए गए आरोपों को सिरे से नकार दिया है. इसके साथ ही मीडिया के एक वर्ग में SIR को लेकर चलाई जा रही भ्रामक खबरों पर भी सवाल उठाए.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि SIR प्रक्रिया से मतदाता को कोई परेशानी नहीं, प्रक्रिया पूरी होने के करीब है जो कानून के मुताबिक है. आयोग ने कहा कि फर्जी मतदाता को मतदाता सूची से हटाना उसकी ज़िम्मेदारी है और वह संवैधानिक जिम्मेदारी को निभा रहा है. आयोग ने SIR प्रक्रिया को NRC बताए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई और सुप्रीम कोर्ट से इस पहलू पर गौर करने की गुज़ारिश की.
आयोग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले चुनाव आयोग के खिलाफ नैरेटिव खड़ा करने की नीयत रखते हैं. आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की नीयत साफ और सही नहीं है जो चुनावी प्रक्रिया का शुद्धीकरण नहीं चाहते. चुनाव आयोग ने कहा कि याचिका प्री-मैच्योर है, क्योंकि प्रक्रिया शुरू होते ही बिना किसी आधार के सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.
‘आधार संख्या नागरिकता या निवास आदि का प्रमाण नहीं’
आयोग ने सर्वोच्च अदालत के एक दर्जन से ज्यादा फैसलों का उल्लेख SIR प्रक्रिया को उचित करार देते हुए हलफनामे में दिया. सुप्रीम कोर्ट के आधार मामले में दिए गए विभिन्न फैसलों का हवाला देते हुए चुनाव आयोग ने कहा है कि आधार संख्या नागरिकता या निवास आदि का प्रमाण नहीं है. आयोग ने कहा कि आधार संख्या या उसका प्रमाणीकरण अपने आप में किसी आधार नंबर धारक के संबंध में नागरिकता या निवास का कोई अधिकार प्रदान नहीं करता या उसका प्रमाण नहीं होता. यही वजह है कि SIR प्रक्रिया में शामिल 11 दस्तावेजों की सूची में आधार को शामिल नहीं किया गया.
‘बड़े पैमाने पर फर्जी राशन कार्ड जारी किए गए’
चुनाव आयोग ने जवाबी हलफनामे में कहा है कि देशभर में बड़े पैमाने पर फर्जी राशन कार्ड जारी किए गए, जिनमें न केवल नकली और झूठे दस्तावेजों के आधार पर प्राप्त किए गए राशन कार्ड शामिल थे, बल्कि समय-समय पर विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अस्थायी आधार पर जारी किए गए राशन कार्ड भी शामिल थे. राशन कार्डों को आधार से जोड़ने से फर्जी राशन कार्डों की समस्या काफी हद तक हल हो गई है, लेकिन टीपीडीएस के साथ समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं. 07.03.2025 को, प्रेस सूचना ब्यूरो ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें बताया गया कि केंद्र सरकार ने 5 करोड़ से अधिक फर्जी राशन कार्ड धारकों को हटा दिया है और राशन वितरण की पूरी प्रणाली को आधार कार्ड से जोड़ दिया है.
आयोग ने निवेदन किया है कि फर्जी राशन कार्डों की व्यापक मौजूदगी को देखते हुए, इसे अनुच्छेद 326 के तहत पात्रता की जांच के लिए 11 दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं किया गया है. आयोग ने कहा कि चूंकि गणना प्रपत्रों में शामिल दस्तावेजों की सूची सांकेतिक है और निर्णायक नहीं है, इसलिए ईआरओ/एईआरओ उन सभी दस्तावेजों पर विचार करने के लिए बाध्य है जो पात्रता के प्रमाण के रूप में उसके सामने प्रस्तुत किए जाते हैं, जिनमें राशन कार्ड भी शामिल हैं. दस्तावेजों को स्वीकार या अस्वीकार करने का निर्णय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 22 और अन्य प्रावधानों तथा आरईआर, 1960 के नियम 21 (ए) और अन्य नियमों के अनुसार ईआरओ/एईआरओ की संतुष्टि पर निर्भर है, और ऐसे निर्णय मामला-दर-मामला आधार पर और कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार लिए जाएंगे.
‘EPIC कार्ड मतदाता सूची के आधार पर तैयार किए जाते हैं’
चुनाव आयोग ने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि ईपीआईसी को चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर), 2025 के दौरान मतदाता सूची में शामिल किए जाने के लिए पात्रता के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता है, क्योंकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के नियम 21(3) और आरईआर, 1960 के नियम 25 के अनुसार, उक्त संशोधन मतदाता सूची की एक नई तैयारी है. ईपीआईसी कार्ड मतदाता सूची के आधार पर तैयार किए जाते हैं. चूंकि मतदाता सूची स्वयं संशोधित की जा रही है, इसलिए ईपीआईसी कार्ड का उत्पादन पूरी प्रक्रिया को निरर्थक बना देगा.
आयोग ने कहा है कि अगर ईपीआईसी, जो केवल पूर्व प्रविष्टियों को प्रतिबिंबित करते हैं. उसका उपयोग उस सूची में प्रविष्टियों को मान्य करने के लिए किया जाता है जिसे नए सिरे से तैयार किया जाना आवश्यक है, तो नए सिरे से संशोधन की वैचारिक और प्रक्रियात्मक अखंडता कमजोर हो जाएगी. आयोग ने कहा कि ईपीआईसी पहले की मतदाता सूची का एक उप-उत्पाद होने के कारण, सत्यापन प्रक्रिया का स्थान नहीं ले सकता, जो नई तैयारी के लिए अनिवार्य है और केवल ईपीआईसी पर निर्भर रहना, इसका स्वतः जारी रहना नए संशोधन अभ्यास की योजना और उद्देश्य दोनों के विपरीत होगा.