देश के उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 9 सितंबर यानी मंगलवार को वोटिंग कराई जाएगी. इससे पहले सत्तारूढ़ एनडीए और इंडिया ब्लॉक अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने के लिए हर संभव कोशिश में जुटे हुए हैं. दिलचस्प हुए इस चुनाव में दोनों ही गठबंधन अपनी-अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं, लेकिन राह इतनी आसान नहीं है. दरअसल, पिछले महीने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद यह चुनाव कराया जा रहा है.
यह 17वां उपराष्ट्रपति पद का चुनाव है. इस पद का चुनाव एक निर्वाचक मंडल की ओर से किया जाता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य शामिल होते हैं. आइए जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में किस पार्टी का पलड़ा भारी है, कौन-किसको समर्थन कर रहा और वोट करने की क्या प्रक्रिया है?
सीपी राधाकृष्णन बनाम सुदर्शन रेड्डी
इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव में तमिलनाडु से बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीपी राधाकृष्णन और आंध्र प्रदेश से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला है. महाराष्ट्र के राज्यपाल राधाकृष्णन को बीजेपी संगठन का एक वफादार और भरोसेमंद चेहरा माना जाता है और वे दक्षिण भारत में अपनी उपस्थिति मजबूत करने की पार्टी की रणनीति का हिस्सा हैं. वहीं दूसरी ओर, सुदर्शन रेड्डी न्यायपालिका में अपनी ईमानदार और निष्पक्ष छवि के लिए जाने जाते हैं. विपक्ष का मानना है कि वे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए काम करते हैं. राजनीति और न्यायपालिका के बीच यह सीधा टकराव इस चुनाव को और भी ऐतिहासिक बनाता है.
उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटर कौन होते हैं?
उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल की ओर से किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं. यही नहीं, इसमें मनोनीत सदस्य भी भाग लेते हैं. इस चुनाव में राज्य विधानसभाओं की कोई भूमिका नहीं होती. 2025 में, रिक्त पदों छोड़कर दोनों सदनों के 782 सांसद होंगे, जिनमें से लोकसभा में 543, राज्यसभा में 233 निर्वाचित और 12 मनोनीत सदस्य होंगे. हर सांसद के वोट की वैल्यू समान होती है.
वोटिंग की प्रक्रिया क्या है और उनकी गिनती कैसे की जाती है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 66 के अंतर्गत आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से सिंगल ट्रांसफरेबल वोट (एसटीवी) के जरिए से किया जाता है. वोटर गोपनीय तरीके से अपना मतदान करते हैं. वे उम्मीदवारों को वरीयता क्रम (1, 2, 3, आदि) के अनुसार क्रमबद्ध करते हैं. चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार के पास कुल वैध मतों के आधे से अधिक वोट होना जरूरी है. अगर कोई भी उम्मीदवार प्रथम वरीयता के मतों से बहुमत हासिल नहीं कर पाता है तो सबसे कम वोट पाने करने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है और उसके मतपत्र अगली उपलब्ध वरीयताओं के अनुसार ट्रांसफर कर दिए जाते हैं. यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कोई उम्मीदवार बहुमत हासिल नहीं कर लेता है.
उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचन आयोग अपनी देखरेख में करवाता है. वोटिंग की निगरानी के लिए एक रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति की जाती है, जोकि, आमतौर पर एक वरिष्ठ संसदीय अधिकारी होता है. ये वोटिंग राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974 के नियम 8 के तहत संसद भवन में आयोजित की जाती है.
कौन-किसे दे रहा समर्थन?
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास लोकसभा में मजबूत बहुमत है और कई क्षेत्रीय दल भी कथित तौर पर उसका समर्थन कर रहे हैं. इससे सीपी राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है. हालांकि विपक्षी दल इंडिया पहले से ज्यादा एकजुट और मजबूत दिखाई दे रहा है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, वामपंथी दलों और अन्य विपक्षी दलों ने सुदर्शन रेड्डी के समर्थन में सक्रिय रूप से प्रचार किया है. साथ ही साथ शिवसेना (UBT) रेड्डी को समर्थन दे रही है. इसके अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के कहने पर जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को समर्थन देने का फैसला किया है.
वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से संपर्क किया था और समर्थन मांगा था, लेकिन स्टालिन ने किसी तरह का बयान देने से परहेज किया. इसके अलावा वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने एनडीए को समर्थन देने की बात कही है. उसके पास लोकसभा में चार और राज्यसभा में सात सदस्य हैं. उसने पिछले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों का समर्थन किया था. इस समय बीजेडी के मुखिया और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक दिल्ली में मौजूद हैं. उन्होंने उपराष्ट्रपति पद पर वोटिंग को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं. बीजेडी की वरिष्ठ विधायक प्रमिला मलिक जरूर कह चुकी हैं कि पार्टी प्रमुख ओडिशा के हितों को सर्वोपरि रखते हुए उचित समय पर फैसला लेंगे.
चुनाव से पहले बीजेपी ने बनाई रणनीति
उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने सांसदों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. इस कार्यशाला में पीएम मोदी समेत पार्टी के सभी सांसद मौजूद रहे हैं. इस कार्यशाला में सांसदों को मतदान प्रक्रिया और गुप्त मतदान की तकनीकी बारीकियों के बारे में डिटेल में जानकारी दी गई है. एनडीए नेतृत्व ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी तरह की लापरवाही विपक्ष को फायदा पहुंचा सकती है इसलिए सांसदों को सतर्क रहना चाहिए. विपक्ष ने भी अपने सांसदों के बीच एकता सुनिश्चित करने के लिए लगातार बैठकें की हैं.
किसके पास है बहुमत?
उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है क्योंकि उसके पास लोकसभा में बहुमत है. अगर आंकड़ों को देखा जाए तो लोकसभा में एनडीए के सांसदों की संख्या 293 है और राज्यसभा में 130 हैं. इसके अलावा 12 मनोनीत सदस्य हैं. इस तरह एनडीए के पास कुल 435 सांसद हैं. चुनाव में 782 सांसद भाग लेंगे, ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 392 है. अगर क्रॉस वोटिंग नहीं होती है तो एनडीए की जीत लगभग तय मानी जा रही है.