12,264 हेल्थ सेंटर्स पर कल नापेंगे कमर का माप:20% पुरुष और 25% महिलाएं NAFLD रेड जोन में, आदतें नहीं बदलीं तो लिवर हो जाएगा खराब

मध्यप्रदेश (MP) में स्वस्थ यकृत (लिवर) मिशन चलाया जा रहा है। अब तक 7 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। आंकड़े बताते हैं कि 20 फीसदी पुरुष और 25 फीसदी महिलाओं में इस साइलेंट किलर के शुरूआती इंडिकेशन मिले हैं। यानी यह सब मोटे हैं और रेड जोन में हैं।

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नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) लिवर की सबसे तेजी से बढ़ती बीमारी है। यदि मोटापा (पुरुषों में 90 सेंटीमीटर और महिलाओं में 84 सेंटीमीटर से अधिक का कमर का माप), आलसी दिनचर्या और खराब खानपान में से कोई दो फैक्टर आप से जुड़े हैं तो यह आपको भी हो सकता है। एक ऐसा रोग है जो गंभीर हो जाए तो लिवर ट्रांसप्लांट ही एक विकल्प है। यही वजह है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक इसको लेकर अलर्ट है।

दरअसल, रेड जोन वाले लोगों को दिला का दौरा पड़ने, ब्रेन स्ट्रोक, लिवर फैलियर, डायबिटीज, हाई बीपी, डिप्रेशन जैसे एक दर्जन रोगों का दो गुना से अधिक खतरा होता है। जिसे कमर के माप को कम रख कर टाला जा सकता है। हर व्यक्ति तक यह मैसेज पहुंचाने के लिए गुरुवार को ग्लोबल फैटी लिवर डे के अवसर पर पूरे प्रदेश में एक साथ 12 हजार 264 हेल्थ सेंटर्स पर एक साथ लोगों की कमर का माप नापा जाएगा।

यह डॉक्टर्स, जनप्रतिनिधी, मेडिकल स्टाफ और परिजनों तक की इंची टेप से जांच होगी। इसके अलावा NAFLD विषय पर रैली और पोस्टर कॉम्पटीशन जैसे आयोजन होंगे। जिसमें MP के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल भी शामिल होंगे।

यहां लगेंगे स्वास्थ्य यकृत मिशन कैंप

  • जिला अस्पताल – 52
  • सिविल अस्पताल – 161
  • सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (30 बेड) – 348
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (6 बेड) – 1 हजार 442
  • उप स्वास्थ्य केंद्र – 10 हजार 256
  • पॉली क्लीनिक – 5

बीमारी की पहचान से ज्यादा जरूरी जागरूकता नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) की एमडी डॉ. सलोनी सिडाना ने कहा कि निरोगी काया अभियान हो या स्वास्थ यकृत मिशन, इनका उद्देश्य मरीजों की पहचान से ज्यादा जागरूकता फैलाना है। कुछ ऐसे पैरामीटर्स हैं, जिन्हें हर व्यक्ति पहचान कर खुद को और अपनों को जीवनशैली से से जुड़ी बीमारियों से सुरक्षित रख सकते हैं। इस मिशन के तहत लोगों की कमर का माप नाप रहे हैं, गर्दन के पीछे की त्वचा देख रहे हैं और बीएमआई चेक कर रहे हैं। यह तीनों पैरामीटर सही हैं तो लिवर स्वस्थ है। जैसे बीपी और डायबिटीज की एक बार दवा शुरू होने पर कभी बंद नहीं होती है। ऐसा ही लिवर के रोग में होता है। ऐसे में इस तरह की स्थिति को पहले की पता कर जरूरी सुधार करना, बेहतर विकल्प है। जिससे जीवनभर दवाइयों पर निर्भर ना रहना पड़े।

30 साल से अधिक आयु के लोगों की हो रही जांच यह जांच अभियान खास तौर पर 30 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए चलाया जा रहा है। इसमें हर व्यक्ति की ऊंचाई (हाइट), वजन (वेट) और कमर का माप लिया जा रहा है। ये सब इसलिए किया जा रहा है ताकि फैटी लिवर के संभावित संदिग्धों को ढूंढा जा सके। अगर किसी में फैटी लिवर का शक होता है, तो उन्हें आगे की जांच और डॉक्टर की सलाह के लिए भेजा जाएगा।

घर पर कर सकते हैं यह जांच आजकल मोटापा, शुगर (मधुमेह), हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी बीमारियों के कारण फैटी लिवर की समस्या बहुत बढ़ गई है। जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि यह एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन रही है।

अगर समय रहते इसकी पहचान हो जाए और सही से इलाज किया जाए, तो इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। ऐसे में व्यक्ति चाहे तो वे घर पर मधुमेह और बीपी की जांच के लिए मशीन रख सकते हैं। इसके अलावा यह जांच मुफ्त रूप से जिला अस्पताल में की जा रही है।

तीनों ग्रेड में अलग-अलग लक्षण

  • ग्रेड वन- इसे माइल्ड स्टेज कहा जाता है। जिसमें लिवर में 5 से 20 फीसदी चर्बी जमा होती है। इसमें कोई लक्षण नहीं दिखते। मरीज खुद को स्वस्थ महसूस करता है। यह स्टेज रिवर्स हो सकती है।
  • ग्रेड टू- यह मॉडरेट स्टेज होती है। इसमें लिवर में चर्बी की मात्रा 20 से 55 फीसदी तक होती है। इसमें थकान, हल्का पेट में भारीपन या असहजता महसूस हो सकता है। यह स्टेज भी रिवर्स हो सकती है।
  • ग्रेड थ्री- इसे सीवियर स्टेज कहते हैं। लिवर में 55 फीसदी से ज्यादा फैट जमा हो चुका होता है। इस स्टेज में पेट में दर्द, सूजन और लिवर एंजाइम्स का लेवल बढ़ जाता है। इस स्टेज में उपचार मुश्किल माना जाता है।

लंबी सिटिंग वालों को ज्यादा खतरा एम्स में बायोकेमेस्ट्री विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. सुखेस मुखर्जी ने कहा कि एनए एफएलडी के केस बीते 5 सालों में तेजी से बढ़ा है। खास तौर पर ये आईटी सेक्टर में काम करने वाले, हॉस्टल में रहने वाले और लंबे समय तक सिटिंग लाइफस्टाइल वाले युवा हैं। उनमें यह ज्यादा देखने को मिल रहा है। इसमें शुरुआती लक्षण नहीं होते हैं। इसलिए इसकी पहचान देरी से होती है।

शंका होने पर कराएं जांच एम्स में फाइब्रोस्कैन मशीन लगाई गई है। इस मशीन से फैटी लिवर की स्थिति और उससे संबंधित बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। एम्स के डॉक्टरों के अनुसार फैटी लिवर का सही समय पर पता न चलने से आगे चलकर लिवर सिरोसिस होने का खतरा बना रहता है।

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