भारत ने कुछ साल पहले कनाडा से लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के सदस्यों के प्रत्यर्पण की मांग की थी, लेकिन कनाडा की ओर से इसपर कोई जवाब नहीं दिया गया. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को ये जानकारी दी.
एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हाल ही में बिश्नोई गिरोह से जुड़े सिंडिकेट्स के लिए हाल में भी इसी तरह की प्रत्यर्पण अपील की गई थी, लेकिन कनाडा ने अभी तक इसका जवाब नहीं दिया है.
इन लोगों के प्रत्यर्पण की उठाई थी मांग
विदेश मंत्रालय ने कहा कि गुरजीत सिंह, गुरजिंदर सिंह, अर्शदीप सिंह गिल, लखबीर सिंह लंदा और गुरप्रीत सिंह के नाम कनाडा को सौंपे गए थे. इनके प्रत्यर्पण की मांग की गई थी. इसमें कुछ लोग बिश्नोई गैंग के भी हैं लेकिन कनाडा की ओर से जवाब नहीं दिया गया.
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हमने कुछ साल पहले और हाल ही में कनाडा को लॉरेंस बिश्नोई गिरोह और उसके सिंडिकेट्स के बारे में जानकारी दी और उनके अस्थायी गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण की मांग की. हालांकि, अभी तक कनाडा से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.’ विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि जब भी भारत ने एंटी-इंडिया और अलगाववादी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है उसे कनाडा ने अनसुना कर दिया है.
ट्रूडो ने लॉरेंस बिश्नोई का लिया था नाम
विदेश मंत्रालय का ये बयान ऐसे समय में आया है जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक दिन पहले ही लॉरेंस बिश्नोई का नाम लिया है. ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारतीय राजनयिक कनाडाई नागरिकों की जानकारी हासिल कर रहे थे और इसे लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को भेज रहे थे.
दरअसल, भारत-कनाडा के बीच विवाद की शुरुआत उस समय हुई, जब ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में 18 जून 2023 को एक गुरुद्वारे के बाहर अज्ञात हमलावरों ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. निज्जर, खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था और भारत ने उसे आतंकवादी घोषित किया था.
कनाडा ने इस हत्याकांड में भारत की संलिप्तता का दावा किया था और सबूत देने भी दावा किया था. दोनों देशों ने एक-दूसरे के छह-छह डिप्लोमैट्स को निष्कासित कर दिया है. हालांकि, अब बुधवार को ट्रूडो ने स्वीकार किया कि उन्होंने निज्जर हत्याकांड से जुड़ी बस खुफिया जानकारी ही भारत को सौंपी थी. कोई सबूत नहीं था. यानी ट्रूडो या कनाडा की तरफ से भारत के खिलाफ अब तक ऐसे कोई सबूत नहीं दिए गए हैं.