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वक्फ बोर्ड के पास है 9 लाख एकड़ से ज्यादा की संपत्ति, 15 साल में हुई डबल, रेलवे-डिफेंस के बाद सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में बड़े संशोधन करने के लिए तैयार है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अधिनियम में लगभग 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है, जिसे वक्फ बोर्ड की शक्तियों को फिर से परिभाषित करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार वक्फ़ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को “वक्फ संपत्ति” बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है.

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40 प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार वक्फ़ बोर्डों द्वारा संपत्तियों पर किए गए दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन किया जाएगा. सरकार के इस कदम का मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है और कहा है कि वक्फ बोर्ड की कानूनी स्थिति और शक्तियों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

वक्फ क्या है
‘वक्फ’ अरबी भाषा के ‘वकुफा’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना. वक्फ का मतलब, दरअसल उन संपत्तियों से है जो इस्लामी कानून के तहत विशेष रूप से धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित हैं. इस्लाम में ये एक तरह का धर्मार्थ बंदोबस्त है. वक्फ उस जायदाद को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले दान करते हैं. ये चल-अचल दोनों तरह की हो सकती है. ये दौलत वक्फ बोर्ड के तहत आती है. जैसे ही संबंधित संपत्ति का स्वामित्व बदलता है तो यह माना जाता है कि यह संपत्ति मालिक से अल्लाह को हस्तांतरित हो गई है. इसके साथ ही यह अपरिवर्तनीय हो जाता है.

‘एक बार वक्फ, हमेशा एक वक्फ’ का सिद्धांत यहां लागू होता है, यानि- एक बार जब किसी संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया जाता है, तो वह हमेशा वैसी ही रहती है. वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है.

ऐतिहासिक संदर्भ

-1954 में पहला वक्फ आया और 1995 में संशोधन हुआ. भारत सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम 1954 के तहत भारत से पाकिस्तान गए मुसलमानों की जमीन वक्फ बोर्ड को दे दी.

-1991 में बाबरी विध्वंस की भरपाई के लिए 1995 में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम में बदलाव करके वक्फ बोर्ड को जमीन अधिग्रहण के असीमित अधिकार दे दिए.

इसके बाद 2013 में संशोधन हुआ जो सबसे अहम था.अप्रभावी होने के कारण इसकी कटु आलोचना भी हुई. इसकी वजह से अतिक्रमण, कुप्रबंधन, स्वामित्व से जुड़े विवाद, और पंजीकरण एवं सर्वेक्षण में देरी जैसी गंभीर समस्‍याएं सामने आई हैं

-कांग्रेस सरकार ने मार्च 2014 में लोकसभा से ठीक पहले राष्ट्रीय राजधानी में 123 प्रमुख संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को उपहार में दिया.पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2014 में राष्ट्रीय वक्फ विकास निगम लिमिटेड के शुभारंभ के दौरान कहा था कि वक्फ बोर्ड के तहत संपत्तियों का उपयोग मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास और लाभ के लिए किया जा सकता है.

2013 में क्या बदलाव हुए
2013 में, इस अधिनियम में और संशोधन किया गया, ताकि वक्फ बोर्डों को किसी की भी संपत्ति छीनने के असीमित अधिकार दिए जा सकें, जिसे किसी भी अदालत में चुनौती भी नहीं दी जा सकती. सीधे शब्दों में कहें तो वक्फ बोर्ड के पास मुस्लिम दान के नाम पर संपत्ति का दावा करने के असीमित अधिकार हैं. इसका सीधा मतलब यह था कि एक धार्मिक निकाय को असीमित अधिकार दिए गए थे, जिसने वादी को न्यायपालिका से न्याय मांगने से भी रोक दिया.

15 साल में हो गई दोगुनी संपत्ति
कहा गया कि यूपीए सरकार में किए गए संसोधनों की वजह से वक्फ बोर्ड हाल के दिनों में भू-माफिया की तरह व्यवहार कर रहा है जिसमें निजी संपत्ति से लेकर सरकारी भूमि तक और मंदिर की भूमि से लेकर गुरुद्वारों तक की संपत्ति पर कब्जा कर रहा है. मूल रूप से, वक्फ के पास पूरे भारत में लगभग 52,000 संपत्तियां थीं. 2009 तक, 4 लाख एकड़ में फैली 300,000 पंजीकृत वक्फ संपत्तियां थीं. पिछले 15 साल में यह दोगुनी हो गई हैं.

वर्तमान में वक्फ बोर्डों के पास करीब 9 लाख 40 हजार एकड़ में फैली करीब 8 लाख 72 हजार 321 अचल संपत्तियां हैं. चल संपत्ति 16,713 हैं.जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये बताई जा रही है. ये संपत्तियां विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों द्वारा प्रबंधित और नियंत्रित की जाती हैं और इनका विवरण वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) पोर्टल पर दर्ज किया गया है.

रेलवे और सशस्त्र बलों के बाद सबसे अधिक जमीन
वक्फ बोर्ड सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी है. यूपी में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति है. यूपी में सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं. हर साल हजारों व्यक्तियों द्वारा बोर्ड को वक्फ के रूप में संपत्ति की जाती है, जिससे इसकी दौलत में इजाफा होता रहता है.

केजरीवाल सरकार भी रही मेहरबान
2022 में, एक आरटीआई जवाब से पता चला कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की AAP सरकार ने 2015 में सत्ता में आने के बाद से दिल्ली वक्फ बोर्ड को 101 करोड़ रुपये से अधिक सार्वजनिक धन दिया है और 2021 में अकेले 62.57 करोड़ रुपये दिए गए. 2019 में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि “ऐसा कहा जाता है कि इस देश के सबसे अमीर व्यक्ति का आवास, जो मुंबई के अंदर है, एक वक्फ संपत्ति पर बनाया गया है. मैं गलत नहीं कह रहा हूं, है ना? मुंबई की सरकार इस बारे में कुछ नहीं कर सकती.अगर हमारी सरकार होती, तो हम निर्माण को ध्वस्त कर देते”

वक्फ अधिनियम के दुरुपयोग के उदाहरण

-आज देश में 30 वक्फ बोर्ड हैं, जिन्होंने अब तक संपत्तियों और मंदिर की जमीनों का उल्लंघन किया है. तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने हाल ही में एक पूरे गांव पर स्वामित्व का दावा किया है, जिससे गांव वाले हैरान हैं. गांव में 1500 साल पुराना हिंदू मंदिर भी था. यह वाकई हास्यास्पद है कि 1400 साल पुराना धार्मिक बोर्ड 1500 साल पुराने मंदिर पर दावा कर रहा है.

-हरियाणा के यमुनानगर जिले के जठलाना गांव में वक्फ की ताकत तब देखने को मिलीं, जब गुरुद्वारा (सिख मंदिर) वाली जमीन को वक्फ को हस्तांतरित कर दिया गया. इस जमीन पर किसी मुस्लिम बस्ती या मस्जिद के होने का कोई इतिहास नहीं है.

-नवंबर 2021 में मुगलीसरा में सूरत नगर निगम मुख्यालय को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था. तर्क यह दिया गया था कि शाहजहां के शासनकाल के दौरान, संपत्ति को सम्राट ने अपनी बेटी को वक्फ संपत्ति के रूप में दान कर दिया था, और इसलिए, आज लगभग 400 साल बाद भी इस दावे को उचित ठहराया जा सकता है.

-2018 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि ताजमहल का स्वामित्व सर्वशक्तिमान (Almighty) के पास है, और व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट द्वारा शाहजहां से हस्ताक्षरित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने के लिए कहे जाने पर, इस निकाय ने दावा किया कि स्मारक सर्वशक्तिमान का है, और उनके पास कोई हस्ताक्षरित दस्तावेज़ नहीं है, लेकिन उन्हें संपत्ति का अधिकार दिया जाना चाहिए.

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