दिल्ली में आयोजित भारतीय तटरक्षक बल (ICG) की 42वीं कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है। अब युद्ध महीनों या वर्षों में नहीं, बल्कि घंटों और सेकंडों में मापा जाता है। उन्होंने उपग्रह, ड्रोन और आधुनिक सेंसरों के कारण युद्ध की प्रकृति में आए बदलाव पर जोर दिया।
राजनाथ सिंह ने ICG को राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि यह बल 152 जहाजों और 78 विमानों के साथ एक मजबूत शक्ति के रूप में खड़ा है। ICG ने देश की 7,500 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा और द्वीपीय क्षेत्रों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मंत्री ने बताया कि यह बल केवल बाहरी खतरों से निपटने तक सीमित नहीं है, बल्कि अवैध मछली पकड़ने, नशीली दवाओं की तस्करी, हथियारों की सप्लाई और समुद्री प्रदूषण जैसी चुनौतियों से भी निपटता है।
उन्होंने कहा कि स्थलीय सीमाएं जहां स्थिर और स्पष्ट होती हैं, वहीं समुद्री सीमाएं अस्थिर और जटिल होती हैं। समुद्र से जुड़े खतरे अचानक सामने आते हैं, इसलिए निरंतर सतर्कता जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि तटरक्षक बल मानवता के लिए भी खड़ा होता है और आपदा प्रबंधन व बचाव अभियानों में हमेशा अग्रणी रहा है।
राजनाथ सिंह ने ICG के आधुनिकीकरण पर बल दिया। उन्होंने बताया कि इसके पूंजीगत बजट का 90 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी संसाधनों के लिए रखा गया है। यह कदम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने महिला अधिकारियों की बढ़ती भागीदारी की सराहना करते हुए कहा कि आज महिलाएं पायलट, लॉजिस्टिक्स अधिकारी और अग्रिम पंक्ति के योद्धा के रूप में अपनी भूमिका निभा रही हैं।
सम्मेलन में उभरती समुद्री चुनौतियों और तकनीकी खतरों पर भी चर्चा की गई। रक्षा मंत्री ने चेतावनी दी कि साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध अब वास्तविक खतरे हैं, इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ड्रोन और साइबर सुरक्षा को समुद्री ढांचे में शामिल करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक समृद्धि समुद्री सुरक्षा से गहराई से जुड़ी है। बंदरगाह और नौवहन मार्ग देश की अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा हैं। उन्होंने ICG से 2047 तक के लिए एक भविष्योन्मुखी योजना बनाने का आह्वान किया, ताकि भारत को एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाया जा सके।