महाराष्ट्र में भाषा विवाद अब इस कदर गहरा गया है कि यहां राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं. आलम ये है कि कुछ दिनों पहले पार्टी कार्यकर्ताओं ने एक फूड स्टॉल मालिक की पिटाई कर दी थी. इसके विरोध में व्यापारी संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन किया था. अब इसके जवाब में MNS के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को रैली निकाली है, जहां पुलिस भी सख्त कार्रवाई कर रही है.
बताया जा रहा है कि यह रैली बिना पुलिस की अनुमति के निकाली गई थी और इसके चलते ठाणे जिले में भारी जाम और तनाव का माहौल बन गया. रैली शुरू होने से पहले ही पुलिस ने MNS के ठाणे और पालघर प्रमुख अविनाश जाधव समेत कई प्रमुख नेताओं को सुबह 3:30 बजे ही हिरासत में ले लिया.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए MNS नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि, “यह स्थिति आपातकाल जैसी है. हमारे नेताओं को सुबह-सुबह गिरफ्तार कर लिया गया जबकि गुजराती व्यापारियों की रैली को पूरा सम्मान दिया जा रहा है. क्या यह महाराष्ट्र सरकार है या गुजरात की सरकार?” उन्होंने आगे कहा, “सरकार चाहे जो करे, मराठी लोगों की यह रैली होकर ही रहेगी.”
मुख्यमंत्री फडणवीस ने MNS के विरोध प्रदर्शन पर क्या कहा?
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि MNS कार्यकर्ताओं ने जो रैली निकाली, वह स्वीकृत मार्ग पर नहीं थी. इसीलिए पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र एक लोकतांत्रिक राज्य है, और यहां कोई भी प्रदर्शन कर सकता है, लेकिन उसके लिए पहले इजाजत लेनी होगी.
पिटाई की घटना और व्यापारी समुदाय की नाराजगी
दरअसल, विवाद की शुरुआत तब हुई जब इस महीने की शुरुआत में मीरा-भायंदर इलाके में एक फूड स्टॉल मालिक को कुछ MNS कार्यकर्ताओं ने सिर्फ इसलिए पीट दिया क्योंकि वह मराठी में बात नहीं कर रहा था. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसके बाद व्यापारी समुदाय में भारी नाराजगी देखी गई. इस घटना के विरोध में व्यापारियों ने एक शांतिपूर्ण रैली की योजना बनाई थी. MNS ने इसे मराठी अस्मिता के खिलाफ बताया और विरोध में खुद रैली निकाली.
पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने क्या कहा?
इस पूरे मामले पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी नाराजगी जताई. पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, “अगर कोई पार्टी मराठी न बोलने वालों को पीटती है, तो हम उनका समर्थन नहीं करेंगे. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. अगर मराठी लोग भी दूसरे राज्यों में रहते हैं तो क्या उन्हें भी पीटा जाएगा?” उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा, “जो भी कानून को हाथ में ले, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.”