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क्या RG Kar Rape Case में मिटाए गए सबूत? सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने पेश की जांच रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में आरजी कर मेडिकल कॉलेज, कोलकाता में रेप और हत्या मामले की सुनवाई में सीबीआई ने अपनी जांच की स्थिति स्पष्ट की. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि अस्पताल में सबूत नष्ट करने और भ्रष्टाचार की आशंका पाई गई है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीबीआई की ओर से बताया कि इस मामले में तीन श्रेणियों के आरोपियों की पहचान की गई है.

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पहला रेप और हत्या से संबंधित, दूसरा घटना के लिए जिम्मेदार और तीसरा भ्रष्टाचार से जुड़े पहलू. सीबीआई ने बताया कि ट्रायल सोमवार से गुरुवार तक प्रतिदिन स्पेशल सीबीआई कोर्ट, सियालदह में हो रहा है और अगले हफ्ते तक ट्रायल खत्म होने की उम्मीद है.

कहां तक पहुंचा केस?

मामले में वकील वृंदा ग्रोवर ने पीड़िता के माता-पिता का पक्ष रखते हुए कहा कि उन्हें सीबीआई से पूरक आरोपपत्र दाखिल करने की उम्मीद है, जिससे इस अपराध में शामिल सभी दोषियों का पर्दाफाश हो सके. उन्होंने कोर्ट को बताया कि कुल 81 गवाहों की गवाही दर्ज होनी है, जिनमें से 43 की गवाही पूरी हो चुकी है.

बंगाल सरकार की मंजूरी का इंतजार

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने एनटीएफ (राष्ट्रीय टास्क फोर्स) की सिफारिशों का भी जिक्र किया, जिसे स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के लिए गठित किया गया था. बेंच ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले की सुनवाई अगले महीने तक पूरी होने की संभावना है. साथ ही, सीबीआई ने जानकारी दी कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में दो सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की मंजूरी का इंतजार है.

मामलें में कैसे और क्या कार्रवाई हुई

इस मामले में पहली बार 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर का शव आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में मिला था. मामले में कोलकाता पुलिस ने अगले ही दिन एक सिविक वॉलंटियर को गिरफ्तार किया. 13 अगस्त को कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी, जिसके बाद सीबीआई ने अक्टूबर में आरोपपत्र दाखिल किया.

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला मार्च 17 को दोबारा विचाराधीन होगा. अगर सुनवाई में किसी प्रकार की देरी होती है, तो पक्षकार इसे अदालत के सामने पेश कर सकते हैं. कोर्ट ने एम्स से यह भी कहा कि डॉक्टरों के विरोध के दौरान उनकी अनुपस्थिति को उनकी सेवा से अलग मानने के संबंध में याचिका पर विचार करें. अदालत को उम्मीद है कि यह मामला अगले महीने तक निपटा लिया जाएगा.

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