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हमें बलि का बकरा बनाया जा रहा, पुणे कांड के बाद ताबड़तोड़ एक्शन से परेशान बार मालिक

बॉम्बे हाईकोर्ट की वेकेशन बेंच ने मुंबई के विभिन्न बार और रेस्टोरेंट्स की ओर से दायर 6 याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि 19 मई को पुणे में पोर्श हादसे के बाद आबकारी विभाग ने अत्यधिक कठोर कार्रवाई की थी.

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इन बार और रेस्टोरेंट्स की ओर से पेश वकील वीना थडानी ने तत्काल सुनवाई के लिए याचिकाओं का उल्लेख किया और कहा कि पुणे में हुई घटना के बाद से कुछ दस्तावेज प्रस्तुत न करने जैसे मामूली मुद्दों पर बार और रेस्टोरेंट्स के लाइसेंस निलंबित किए जा रहे हैं. थडानी ने कहा कि इन प्रतिष्ठानों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है.

जस्टिस एमएम सथाये और सोमशेखर सुंदरसन की बेंच ने थडानी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि अधिकारियों द्वारा मांगे गए जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत किए जाएं. इस पर एडवोकेट थडानी ने कहा कि दस्तावेज प्रस्तुत किए जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी हमारी बात सुने बिना लाइसेंस रद्द किए जा रहे हैं. इसके बाद बेंच ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. साथ ही कहा कि आज की सुनवाई के लिए उनके पास पहले से ही 30 मामले सूचीबद्ध हैं.

मुंबई सेंट्रल स्थित गुड लक बार और रेस्टोरेंट की तरह याचिका में उठाए गए मुद्दे यह थे कि 25 मई 2024 को आबकारी विभाग के एक निरीक्षक ने तीन उल्लंघन पाए थे. परमिट में निर्धारित संख्या से ज़्यादा 5 महिलाएं काम कर रही थीं, बिना वैध परमिट के ग्राहकों को शराब बेची जा रही थी और परमिट रूम क्षेत्र के बाहर भी शराब परोसी जा रही थी. बार के मालिक दीपक त्यागी को उम्मीद थी कि उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया जाएगा और उन्हें इन मुद्दों पर व्यक्तिगत सुनवाई का मौक़ा दिया जाएगा. हालांकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और 27 मई को उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था.

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