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‘हम गाय का मांस निर्यात नहीं करते, ये आपका धंधा…’, संसद में विपक्ष पर बरसे ललन सिंह

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ललन सिंह ने अपने विभाग की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मोदी सरकार की 10 साल की उपलब्धियां गिनाईं और विपक्ष को जमकर घेरा. उन्होंने चर्चा के दौरान पशुओं की संख्या में कमी के दावे का खंडन करते हुए कहा कि ये संख्या बढ़ी है. पीएम ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन चलाया और ये इस मिशन की सफलता है कि दुग्ध उत्पादन भी बढ़ा है. ललन सिंह ने कहा कि देसी गायों की नस्ल में सुधार को लेकर भी कार्यक्रम चल रहा है और हम इस पर आगे बढ़ रहे हैं. IVF के माध्यम से नस्ल सुधार पर काम किया जा रहा है.

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उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने आवारा पशुओं की समस्या उठाई. आवारा पशुओं का मुख्य कारण यही है कि हमारा जो बछड़ा है, उसे कुछ दिन इस्तेमाल करने के बाद लोग सड़क पर छोड़ देते हैं. IVF पर काम किया जा रहा है जिससे आवारा पशुओं की समस्या को भी नियंत्रित किया जा सकेगा. ललन सिंह ने कहा कि IVF ऐसी टेक्नोलॉजी है जिससे हम सात पीढ़ी तक जिन नस्लों का सुधार नहीं कर सकते, एक शॉट से सुधार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसकी कीमत ज्यादा है. हर क्षेत्र में किसान सीमांत है जो अभी सबकी पहुंच में नहीं है लेकिन सरकार सस्ते दर पर IVF इंजेक्शन उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध हैं.

ललन सिंह ने कहा कि हमारा प्रयास दुग्ध उत्पादन और पशुपालन के असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में तब्दील करने का है. रोग नियंत्रण पर भी हमलोग टीका देने का काम कर रहे हैं. इसमें सौ फीसदी केंद्रीय सहायता के साथ हम रोग नियंत्रण का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान हमारे एक साथी ने गोमांस की बात कही. इसको करेक्ट कर लीजिएगा, हमारा देश गाय का मांस एक्सपोर्ट नहीं करता है. हमारा देश बफैलो मीट एक्सपोर्ट करते हैं. ये आपका धंधा है. ललन सिंह ने कहा कि 21 राज्यों में आज भी 3165 एमवीयू चालू हालत में है जिससे 86 लाख पशु लाभान्वित हो चुके हैं.

केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने अधीर रंजन का जिक्र कर TMC पर तंज किया. उन्होंने TMC सांसदों की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपलोग आजकल कांग्रेस के साथ खूब गलबहियां कर रहे हैं न दादा. अधीर रंजन चौधरी को तो विदा करा दिए आपलोग. ललन सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने 60 साल में 13 परसेंट लोगों की चिंता नहीं की तो तीन परसेंट लोगों की चिंता कहां से करती. ये लोग 60 साल तक मेवा खा रहे थे. प्रधानमंत्री मोदीजी समर्पण भाव के साथ जनता की सेवा कर रहे हैं, इसलिए लक्ष्य प्राप्त हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक उपलब्धि जरूर है आपकी, आपने घोटालों के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है आपकी. आपके घोटाले गिने जाएं तो लाइन लंबी होगी.

उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि देश के विकास में आपका कोई योगदान नहीं है. विकसित भारत बनाने के जिस लक्ष्य को लेकर मोदीजी चल रहे हैं, हमलोग पांच साल में तीसरे नंबर पर आ जाएंगे आर्थिक स्थिति के मामले में. ललन सिंह ने कहा कि 2047 तक हमलोग पहले नंबर पर खड़े होंगे. आप भी लाइन में लग जाइएगा हमलोगों के साथ. उन्होंने मत्स्य पालन से लेकर पशुपालन तक, यूपीए सरकार के आंकड़े भी गिनाए और कहा कि अब आपको कौन सा आईना चाहिए.

ललन सिंह ने कहा कि 10 साल में मत्स्य उत्पादन दोगुना हो गया. आज खारे पानी में झींगा का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओडिशा में झींगा का उत्पादन बढ़ा है. झींगा के लिए 9000 करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट अप्रूव किए गए हैं. फिशरीज डेवलपमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का निर्माण जो प्रधानमंत्री ने किया, उसका योगदान है कि नीतिगत निर्णयों के कारण व्यापक पहुंच हुई और लोग जुड़े जिससे मछली उत्पादन बढ़ा. आज हम 60 हजार करोड़ से ज्यादा की मछली का निर्यात कर रहे हैं. 2013-14 में 30 हजार 213 करोड़ का निर्यात हो रहा था. हमारा उत्पादन ही दोगुना नहीं हुआ, एक्सपोर्ट भी दोगुना हुआ. ये पीएम मोदी के 10 साल के शासन की उपलब्धि है.

उन्होंने फिशरीज एंड एक्वाकल्चर डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की उपलब्धियां गिनाईं और कहा कि इसके तहत नाबार्ड भी राज्यों को ऋण उपलब्ध कराता है. नीली क्रांति का भौतिक लक्ष्य प्राप्ति की काफी लंबी सूची है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना 20 हजार करोड़ से अधिक निवेश के साथ 2020 में लागू की गई जो 2025 तक चलेगी. इसकी सफलता शानदार रही है. राज्य और केंद्र शासित प्रदेश और अन्य एजेंसियों के लिए स्वीकृत परियोजनाएं गिनाते हुए ललन सिंह ने कहा कि इसे हमने प्राथमिक व्यवसाय के रूप में विकसित करने का काम किया, उद्यमियों को इसे अपने प्राथमिक व्यवसाय में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया. मत्स्य उत्पादकों को पहली बार सामाजिक सुरक्षा दी गई. पूर्ण विकलांगता की स्थिति में 5 लाख, आंशिक विकलांगता की स्थिति में ढाई लाख और बीमारी की स्थिति में 25 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है. पहली बार मत्स्य उत्पादकों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ने का काम किया गया.

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