भारत के विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं, बाहरियों की सुनते हैं…’, जयशंकर के बचाव में गरजे अमित शाह 

संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है और सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो रही है. विदेश मंत्री एस जयशंकर, सदन को नौ मई की सुबह अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की फोन कॉल को लेकर जानकारी दे रहे थे. उन्होंने सदन को बताया, “अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तानी बड़ा हमला कर सकता है. इस पर पीएम मोदी ने उनसे साफ कह दिया कि भारत मजबूत जवाब देगा.”

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून तक कोई फोन कॉल नहीं हुई.

उनकी इस बात पर विपक्ष हंगामे करने लगा. इतने में ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खड़े हुए और एस जयशंकर का बचाव करने लगे. उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, “भारत के विदेश मंत्री यहां बोल रहे हैं, इनको विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है. किसी और देश पर भरोसा है. इसीलिए ये वहां बैठे हैं, अगले 20 साल तक वहीं बैठने वाले हैं. ये बाहरियों को सुनते हैं.”

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “मैं समझ सकता हूं कि आपकी पार्टी में विदेशी बयानों का कितना महत्व है. लेकिन आपने शपथ लिए हुए भारत के विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं किया और सदन पर अपनी सोच थोपने की कोशिश की. यही वजह है कि आप इतने सालों से वहीं बैठे हैं, जहां बैठे हैं.”

‘संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी हमले की निंदा की…’

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी हमले की निंदा की. पाकिस्तान ने टीआरएफ का बचाव किया. सात मई की सुबह मैसेज दिया गया और पाकिस्तान को सबक सिखाया गया. हमने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. हमने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया. अपने नागरिकों की रक्षा करना भारत का अधिकार है और भारत अब परमाणु ब्लैकमेलिंग नहीं सहेगा.

उन्होंने आगे कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मध्यस्थ नहीं था. सीज फायर की पहल पाकिस्तान की ओर से हुई. पाकिस्तान ने सीज फायर की गुहार लगाई. क्वॉड देशों ने घटना की निंदा की, अमेरिका से तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण हुआ, ये हमारी डिप्लोमेसी है. फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय यूनियन ने एक स्टैंड लिया, ये हमारी डिप्लोमेसी है.

‘भारत को अपने नागरिकों की रक्षा…’

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की मीटिंग से लेकर पाकिस्तानी दूतावास के सदस्यों को पर्सन ऑफ नॉन ग्रेटा घोषित किए जाने तक, सरकार के द्वारा उठाए गए कदम गिनाए. उन्होंने कहा, “दूतावासों को ब्रीफिंग देने के साथ ही मीडिया में भी यह जानकारी दी गई कि भारत को अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार है. पाकिस्तान सुरक्षा काउंसिल का सदस्य है, हम नहीं हैं. हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के बारे में बताया.”

उन्होंने आगे कहा कि हमारी रेड लाइन पार कर गई, तब हमें सख्त कदम उठाने पड़े. हमने दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब किया. सिक्योरिटी काउंसिल में पाकिस्तान समेत केवल तीन देशों ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया. यूएन के 193 में से तीन सदस्यों ने ही इस ऑपरेशन का विरोध किया.

Advertisements
Advertisement