भूमिगत खनन नहीं, खुली खदान चाहिए, उमरिया के किसानों ने प्रशासन को सौंपा ज्ञापन

मध्य प्रदेश :  उमरिया जिले में पाली के रौगढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित कोयला खदान को लेकर ग्रामीणों में असंतोष बढ़ता जा रहा है. सोमवार को रौगढ़ और आसपास के तीन-चार गांवों के सैकड़ों किसान उमरिया कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और खुली खदान की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया.

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ग्रामीणों के अनुसार, पहले कंपनी ने खुली खदान से कोयला निकालने की बात कही थी, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद थी. लेकिन 18 जनवरी को अचानक भूमिगत खनन की घोषणा कर दी गई, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई. ग्रामीण प्रतिनिधि सुजीत सिंह ने बताया कि भूमिगत खनन से जमीन के बंजर होने का खतरा है और रोजगार के अवसर भी सीमित हो जाएंगे.

किसानों का कहना है कि वे विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह उनके हितों को ध्यान में रखकर होना चाहिए. भूमिगत खदान से न केवल उनकी खेती पर असर पड़ेगा, बल्कि भविष्य में जलस्तर और पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. विरोध कर रहे ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा और मांग की कि कोयला खदान खुली हो, ताकि स्थानीय लोगों को अधिक रोजगार मिले और उनकी जमीन सुरक्षित रहे.

प्रस्तावित कोयला खदान के लिए रौगढ़ समेत कई गांवों की जमीन अधिग्रहण के दायरे में आ रही है. ग्रामीणों का साफ कहना है कि वे कोयला खनन का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन अगर उनकी जमीन ली जा रही है, तो यह ऐसा मॉडल होना चाहिए, जिससे उनकी आजीविका सुरक्षित रह सके। प्रशासन से इस पर उचित निर्णय लेने की अपील की गई है.

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