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पैगम्बर साहब का इस्लाम क्या है, यह सोचना पड़ेगा: मोहन भागवत

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय समापन समारोह’ को संबोधित किया. इसमें उन्होंने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव से लेकर तमाम मुद्दों पर बात की. देश में एकता कैसे हो, लोगों के बीच दूरियां कैसे मिटें, भारत आगे कैसे बढ़े जैसे विषय पर लंबी बात की. इसके साथ ही उन्होंने इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद साहब का भी जिक्र किया.

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मोहन भागवत ने कहा कि दूसरे का मत का सम्मान करो. समाज में एकात्मता चाहिए. हमारा समाज विविधताओं से भरा हुआ है. ये विविधताएं मिथ्या हैं लेकिन मूल में हम सब एक ही हैं. सब सही है. धर्म मार्ग पर बढ़ते हैं तो उन्नति होती है. जबसे हम अपनी रीति भूले हैं, तब से हमारा पतन हुआ है. समाज में एकता चाहिए. लोगों के मन में अविश्वास है. हजारों वर्षों का काम होने पर चिढ़ भी है.

उन्होंने कहा कि पैगंबर साहब का इस्लाम क्या है? यह सोचना होगा. ईसाइयत क्या है? सोचना पड़ेगा. भगवान ने हम सबको बनाया है. उनकी बनाई कायनात के बारे में सोचना होगा. सोच समझकर जो समय के प्रवाह में विकृतियां आई हैं, उनको हटाकर ये जानकर कि मत अलग हो सकते हैं लेकिन हमको इस देश को अपना मानकर व्यवहार करना होगा. इसके लिए आदत की आवश्यकता होती है.

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मत और तरीके अलग हो सकते हैं लेकिन हमें इस देश के सभी लोगों को अपना भाई मानना होगा. विचार तो अच्छे होते हैं लेकिन दशकों की जो आदत है, उसे सुधारने में समय लगता है. इसलिए रोज व्यायाम करने की जरूरत है. इसके लिए संघ की शाखा होती है. संघ इसी के लिए है.

संघ प्रमुख ने कहा कि समाज को भी कदम उठाना होगा. समाज को खुद को खड़ा करना होगा. फ्रांसीसी क्रांति में आक्रोश शिखर पर था. यही रूस में हुआ है, समाज में ये तय हो गया कि इससे बाहर आना है. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर कहते हैं कि बड़ा परिवर्तन होने से पहले आध्यात्मिक जागरण होता है. समाज के निर्माण का काम करना है. समाज में संस्कार चाहिए. हमारा समाज विविधताओं से भरा हुआ है.

उन्होंने कहा कि समाज में एकता चाहिए. अन्याय होता रहा है इसलिए आपस में दूरी है. बहुत गहरे घाव हैं, उसकी पीड़ा है. अन्याय के प्रति जो चिढ़ है, उससे अपने ही लोग गुस्सा हैं. पास आना और एक होने का रास्ता क्या होगा. रास्ता बस यही है कि उसे भूलो. डर है तो शक्ति संपन्न बनो.

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