गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ‘पहलगाम हमले का चुन-चुनकर बदल लिया जाएगा. ये नरेंद्र मोदी का भारत है’. पहलगाम हमले के बाद से भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं.
अमित शाह ने कहा, ‘आज कोई ये ना समझ ले कि हमारे 27 लोगों को मारकर वो ये लड़ाई जीत गए हैं. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि हर व्यक्ति को जवाब भी मिलेगा और जवाब लिया भी जाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘कोई कायराना हमला करके सोचता है कि ये हमारी जीत है तो ये समझ ले कि चुन-चुन कर बदला होगा. ये नरेंद्र मोदी का भारत है.’
‘दुनिया के सभी देश आज भारत के साथ खड़े हैं’
गृह मंत्री ने कहा, ‘आज फिर से ये संकल्प याद दिलाना चाहता हूं कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, चाहे वामपंथी उग्रवाद हो या फिर कश्मीर का मुद्दा अगर कोई कायराना हरकत करता है तो किसी को भी बक्शा नहीं जाएगा.’
अमित शाह ने कहा कि इंच-इंच भूमि से आतंकवाद को मिटा देंगे. लामबंद होकर दुनिया के सभी देश आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़े हैं. जब तक आतंकवाद समाप्त नहीं होगा तब तक उनको दंड दिया जाएगा.
पाकिस्तान पर भारत का कड़ा एक्शन
बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत लगातार पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले ले रहा है. सरकार ने बुधवार को पाकिस्तानी विमानों के लिए एयरस्पेस बंद करने का फैसला लिया. इससे पहले हमले के अगले ही दिन यानी 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई थी. इस मीटिंग में पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े फैसले लिए गए थे.
भारत ने सबसे पहले पाकिस्तानी नागरिकों को अपनी जमीन से खदेड़ने के लिए अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को बंद कर दिया ताकि कोई भी पाकिस्तानी नागरिक भारतीय वीजा होने के बावजूद देश में दाखिल नहीं हो सके. इसके साथ ही CCS की बैठक में पाकिस्तान में मौजूद भारतीय दूतावास को बंद करने का फैसला लिया गया था. साथ ही भारत में मौजूद सभी पाकिस्तानी राजनायिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया और पाकिस्तानियों को भारत का वीजा नहीं देने का कठोर फैसला लिया गया था.
इसके अलावा भारत की ओर से पाकिस्तान को दी जाने वाली SAARC वीजा छूट योजना को भी तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है. इसके तहत भी अब पाकिस्तानी नागरिकों को भारत आने की अनुमति नहीं होगी. इस बैठक में भारत ने जो सबसे बड़ा फैसला लिया था, वह सिंधु जल समझौते को सस्पेंड करना था.