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2020 में नौकरी के लिए दुबई गया, ढाई साल जेल में बिताए, वतन लौटते ही छलक पड़े आंसू..

पंजाब के माछीवाड़ा साहिब के मनप्रीत सिंह 4 साल बाद अपने वतन लौटे. मनप्रीत का परिवार यहां की इंदिरा कॉलोनी में रहता है. बेटे को देखते ही मां उसे गले लगा लिया. दरअसल, मनप्रीत सिंह कुछ वर्षों से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की जेल में बंद था.

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परिजनों के मुताबिक, मनप्रीत सिंह 2020 में दुबई (यूएई) गया था, जहां उसने करीब डेढ़ साल तक एक कंपनी में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर काम किया, लेकिन जब उसका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया, तो वह पंजाबी परिचितों के पास रहने के लिए यूएई के अजमान शहर में आ गया.

मनप्रीत सिंह ने कहा कि अजमान शहर में आने के 10 दिन बाद ही उसके कमरे पर छापा मारा गया. जहां वह पाकिस्तान के नागरिकों के साथ रह रहा था. छापेमारी में पुलिस को उन लड़कों के पास से नशीले पदार्थ मिले, जिसके कारण पुलिस ने कमरे में मौजूद सभी लड़कों को हिरासत में ले लिया और जेल में डाल दिया. बाद में मनप्रीत सिंह को 25 साल कैद की सजा सुनाई गई.

मनप्रीत ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, “उसने पुलिस से बहुत मिन्नतें कीं लेकिन किसी ने नहीं सुनी. जब मामला कोर्ट में गया तो कोर्ट ने उसे 25 साल की सजा सुनाई. जिसके बाद मेरी सारी उम्मीदें टूट गई थीं, मैं हिम्मत हार चुका था. मुझे बस यही लगता था कि मैं अपनी मां, भाई और बहन से कभी नहीं मिल पाऊंगा. जेल में उसके साथ कई और पंजाबी भी थे और उन सभी को बहुत कम खाना दिया जाता था. जिससे वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगा था. उसे 2 महीने बाद सिर्फ एक बार घर पर फोन करने की इजाजत मिली और वह भी 1-2 मिनट के लिए.”

मनप्रीत ने कहा कि सबसे दर्दनाक बात यह थी कि निर्दोष होते हुए भी उसे जेल में रहना पड़ा.

मां की दुआ कबूल हुई

वहीं, मनप्रीत सिंह की मां परमजीत कौर की आंखों से खुशी के आंसू थम नहीं रहे थे, क्योंकि भगवान ने उनकी दुआ कबूल कर ली. भगवान ने उन्हें उनका बेटा वापस दे दिया. परमजीत ने कहा कि उन्होंने सिर्फ एक ही चीज के लिए दुआ मांगी थी कि वह एक बार अपने बेटे से मिल लें. आज भगवान ने मेरी सुन ली और मेरा बेटा मेरी आंखों के सामने है.

जेल से कैसे बाहर आया मनप्रीत?

अजमान में ईद और राष्ट्रीय दिवस पर कुछ कैदियों को दया और सहानुभूति के आधार पर रिहा किया जाता है. इसके चलते मनप्रीत का नाम भी राष्ट्रीय दिवस पर रिहा होने वाले कैदियों की सूची में आ गया था. जिसके चलते उसे ढाई साल बाद रिहा कर दिया गया और जेल से सीधा एयरपोर्ट ले जाकर भारत भेज दिया गया.

मनप्रीत सिंह ने बताया कि उसके साथ चार अन्य पंजाबी साथियों को भी रिहा किया गया है. जेल में बिताए समय को याद करते हुए मनप्रीत ने कहा कि वह बहुत मुश्किल दौर से गुजरा था और उसने जिंदा घर लौटने की उम्मीद छोड़ दी थी. उसने कहा कि वह अब कभी विदेश नहीं जाएगा बल्कि अपने देश में ही काम करेगा और अपने परिवार के साथ रहेगा.

उसने युवाओं से भी अपील की कि वह अपना वतन छोड़कर विदेश न जाए बल्कि यहीं काम करे और अपने परिवार के साथ रहें.

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