पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के दावे पर कांग्रेस के अंदर सवाल उठाए जाने लगे हैं. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने इसे पार्टी को कमजोर करने वाला बयान बताया. अल्वी ने कहा, क्या इसका मतलब है कि वो अमेरिकी दबाव में काम कर रहे थे? ऐसा बयान सिर्फ बीजेपी को फायदा पहुंचाएगा.
दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिंदबरम ने दावा किया था कि 26/11 हमले के बाद भारत अमेरिका के दबाव में पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई नहीं कर पाया. साल 2008 में जब मुंबई में हमला हुआ, उस वक्त कांग्रेस नेता पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस उनसे और प्रधानमंत्री से मिलने भारत आई थीं और उनसे स्थिति पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देने का अनुरोध किया था.
चिदंबरम का कहना था कि मेरे मन में बदला लेने का विचार आया था, लेकिन सरकार ने सैन्य कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया. एक न्यूज चैनल से बातचीत में चिदंबरम ने कहा, पूरी दुनिया दिल्ली में यह कहने आई थी कि युद्ध मत शुरू कीजिए. उन्होंने आतंकी हमले के कुछ दिन बाद ही गृह मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी. मुंबई हमले में 175 लोगों की जान गई थी.
पी. चिदंबरम के बयान पर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राशिद अल्वी ने कहा, क्या इसका मतलब है कि वे अमेरिकी दबाव में काम कर रहे थे? ऐसा बयान केवल बीजेपी को फायदा पहुंचाएगा. चिदंबरम अब 16 साल बाद यह दावा क्यों कर रहे हैं? अगर उस समय वो असहमत थे तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए था. कांग्रेस के भीतर कई लोग हैं जो पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं. यह तो ऐसा है जैसे किसी घर में दीया ही आग लगा दे.
बीजेपी ने कांग्रेस को आड़े हाथ लिया
इससे पहले बीजेपी ने भी पी चिदंबरम के बयान पर तंज कसा था. पटना से बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने मनमोहन सिंह सरकार को ‘कमजोर’ करार दिया था और राहुल गांधी पर सवाल दागे थे.
रविशंकर प्रसाद ने कहा, मनमोहन सिंह सरकार में गृह मंत्री रहे पी. चिदंबरम ने अब खुद स्वीकार किया है कि मुंबई हमलों के बाद वे पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के पक्ष में थे, लेकिन उस समय विदेश मंत्रालय ने उन्हें रोक दिया और मनमोहन सिंह चुप रहे. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, यह कितनी कमजोर सरकार थी, जब निर्दोष भारतीय मारे जा रहे थे. सोनिया गांधी उस समय कहां थीं? आज राहुल गांधी पर सवाल है- क्या वे इस मुद्दे पर कुछ बोलेंगे?