बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे इस समय सुर्खियों में बने हुए हैं. हाल ही में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को लेकर बयान दिया. इसी के बाद से उन पर विपक्ष तो निशाना साध ही रहा है, लेकिन अपनी खुद की पार्टी यानी बीजेपी के नेता भी इस बयान से दूरी बना रहे हैं और विरोध में नजर आ रहे हैं. निशिकांत दुबे के बयान के बाद बीजेपी सांसद मनन कुमार मिश्रा ने कहा, पश्चिम बंगाल के कई हिस्से जल रहे, सुप्रीम कोर्ट की आंखें बंद हैं.
निशिकांत दुबे के बयान पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील मनन कुमार मिश्रा ने कहा, यह भाव में बह कर उन्होंने संजीव खन्ना का नाम कह दिया होगा, किसी भी मामले में फैसला सुप्रीम कोर्ट करती है, कोई जज कोई फैसला नहीं लेते हैं. मणिपुर की बात थी तब सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया. पूरा पश्चिम बंगाल लगभग जल रहा है और सुप्रीम कोर्ट की आंखें बंद हैं तो पूरे देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर ही है.
SC को लेकर क्या कुछ कहा?
बीजेपी सांसद मनन कुमार मिश्रा ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने जो 3 महीने का एक पीरियड फिक्स कर दिया है, जो संविधान के निर्माता थे वो भी यह काम कर सकते थे, उन्होंने इतना बढ़िया संविधान देश को दिया, लेकिन गवर्नर और राष्ट्रपति की टाइम लीमिट नहीं फिक्स की तो इसकी कुछ तो वजह होगी.
उन्होंने आगे कहा, सुप्रीम कोर्ट इन बड़ी घटनाओं पर चुप है. सुप्रीम कोर्ट को पश्चिम बंगाल पर कोई बड़ा निर्णय लेना चाहिए था, लेकिन कोर्ट ने कुछ नहीं किया. देश जो सुप्रीम कोर्ट से आशा लगा कर बैठा है, उसको कोर्ट को पूरा करना चाहिए. कानून बनाना पार्लियामेंट का काम है. उसकी व्याख्या कैसे करेंगे उतना ही काम हमारे कोर्ट का है. सुप्रीम कोर्ट को थोड़ा बैलेंस कर के चलना होगा कि उसकी आलोचना न हो, कोर्ट पर लोग अनावश्यक टिप्पणी न करें.
निशिकांत दुबे ने क्या बयान दिया
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में बयान दिया. उन्होंने कहा, इस देश में जितने गृह युद्ध हो रहे हैं इस के जिम्मेदार सिर्फ यहां के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना साहब है. उन्होंने आगे कहा, एक आर्टिकल 377 था जिसमें समलैंगिक विवाह अपराध था और ट्रंप शासन ने भी ऐसा ही कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन इस आर्टिकल को रद्द कर दिया.
उन्होंने आगे कहा, हम ने IT एक्ट बनाया, एक दिन सुप्रीम कोर्ट खड़ा होता है वो कहता है 66ए खत्म कर दिया हम ने. जब राम मंदिर का विषय होता है तो आप कहते हो कि कागज दिखाओ, जब शिव की बात होगी जब ज्ञानवापी की बात होगी तो आप कहते हो कि कागज दिखाओ. इस देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सिर्फ और सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है. सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है, सुप्रीम कोर्ट की सीमा यह है कि भारत के संविधान ने जिस कानून को बनाया, उस कानून की उसको व्याख्या करनी है. अगर वो व्याख्या नहीं कर सकती है और सब कुछ के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है तो फिर संसद का विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, इसको बंद कर देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि 3 महीने में राष्ट्रपति बता दें कि क्या करना है, गवर्नर बता दें कि क्या करना है.