पश्चिम चम्पारण/बेतिया: बिहार राज्य ऐम्बुलेंस कर्मचारी संघ के राज्यव्यापी आह्वान पर पश्चिम चम्पारण जिले के सभी ग्रेडों के अस्पतालों में कार्यरत ऐम्बुलेंस कर्मचारी, ड्राइवर और ईएमटी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए. इससे पूरे बिहार सहित जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने की स्थिति में पहुंच गई है. हड़ताल के कारण मरीजों को आपातकालीन सेवा मिलने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. वहीं जिला अध्यक्ष सुनील राम ने कहा कि इस भयंकर महंगाई के दौर में मात्र 11,500 रुपये मासिक वेतन पर काम करना पड़ रहा है, जबकि दिन में 12 घंटे से अधिक ड्यूटी करवाई जाती है.
समाज के मां, बहन, बच्चे और दुर्घटनाग्रस्त लोगों का जीवन बचाने वाले ये कर्मचारी खुद अपने परिवार का जीवन सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं. पैसे की कमी के कारण बच्चे ठीक से पढ़ नहीं पाते और गाड़ी खराब होने की स्थिति में मजदूरी तक काट ली जाती है. आगे उन्होंने कहा अन्य विभागों में कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति की उम्र सीमा बढ़ाई जा रही है, लेकिन ऐम्बुलेंस कर्मचारियों की उम्र सीमा 60 से घटाकर 58 वर्ष कर दी गई है. इससे कर्मचारियों का भविष्य असुरक्षित हो गया है. इतना ही नहीं, कड़ी मेहनत के बाद भी तरह-तरह के झूठे आरोप लगाकर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है. जब तक ऐम्बुलेंस संचालन जिला स्वास्थ्य समिति के अधीन था, तब तक कर्मचारियों को ऐसी तानाशाही का शिकार नहीं होना पड़ता था. लेकिन जब से निजी कंपनियों को संचालन की जिम्मेदारी ठेका पर दी गई है, तब से कर्मचारियों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. कंपनी खुलेआम सरकार के न्यूनतम मजदूरी कानून को ठेंगा दिखा रही है और कुशल श्रमिकों का शोषण कर रही है.
नौकरी में कोई स्थायित्व नहीं है और अनुबंध के आधार पर उनकी सेवा हर पल असुरक्षित बनी रहती है। कर्मचारी धर्म प्रकाश शर्मा कहा कि 19 अगस्त को ही संघ की ओर से राज्य स्वास्थ्य समिति को हड़ताल की लिखित सूचना दी गई थी, लेकिन उनकी मांगों पर तत्काल संज्ञान नहीं लिया गया. मजबूर होकर हड़ताल पर उतरना पड़ा है. आगे उन्होंने कहा न्यूनतम मजदूरी कानून के हिसाब से प्रत्येक ऐम्बुलेंस कर्मचारी को कम से कम 19,000 रुपये मासिक भुगतान मिलना चाहिए, लेकिन केवल 11,500 रुपये देकर खुलेआम शोषण किया जा रहा है.यह श्रम कानून का सीधा उल्लंघन है. धरना स्थल पर जिला प्रभारी(एटक) नेता ओमप्रकाश क्रांति ने कहा कि राज्य स्वास्थ्य समिति को अविलंब कंपनी और ऐम्बुलेंस कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता करनी चाहिए तथा कर्मचारियों की जायज मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि कंपनी को भी श्वेत पत्र जारी कर यह बताना चाहिए कि सरकार और राज्य स्वास्थ्य समिति ऐम्बुलेंस कर्मियों के भुगतान के लिए कितनी राशि देती है.साथ ही सेवा निवृत्ति की उम्र सीमा को फिर से 60 वर्ष किया जाए, अन्यथा आंदोलन और अधिक उग्र होगा.
श्री क्रांति ने आगे स्पष्ट चेतावनी दी कि कंपनी और स्वास्थ्य समिति यह न समझें कि ऐम्बुलेंस कर्मचारी अकेले हैं, जरूरत पड़ी तो अन्य मजदूर संगठन भी समर्थन में सड़कों पर उतरेंगे. धरना का नेतृत्व ऐम्बुलेंस कर्मचारी संघ के नेता सुनील राम, आदर्श मणि, संजीत सिन्हा, संदीप यादव सहित कई नेताओं ने किया। पूरे धरना स्थल पर कर्मचारियों की मुख्य मांगें गूंजती रहीं ऐम्बुलेंस कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी कानून की गारंटी करो, सेवा निवृत्ति की उम्र सीमा 58 से बढ़ाकर 65 करो, ऐम्बुलेंस कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारी का दर्जा दो.