शुभांशु के स्पेस मिशन से भारत को क्या फायदा होने वाला है… पूर्व इसरो चीफ सोमनाथ ने समझाया 

भारत के लिए 25 जून 2025 एक ऐतिहासिक दिन है. ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना के अनुभवी पायलट, एक्सिओम मिशन-4 (ax-4) के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (iss) की यात्रा पर निकले हैं. यह भारत का दूसरा राकेश शर्मा पल है, जो न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों के अंतरिक्ष सपनों का प्रतीक है. यह मिशन भारत को वैश्विक अंतरिक्ष गठबंधन में केंद्र में लाता है.

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एक्सिओम-4: एक नया अंतरिक्ष युग

एक्सिओम मिशन-4, नासा और स्पेसएक्स के साथ मिलकर एक्सिओम स्पेस द्वारा आयोजित चौथा निजी अंतरिक्ष मिशन है. इसका लक्ष्य कम पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में स्थायी वाणिज्यिक उपस्थिति बनाना है. यह मिशन भारत के लिए खास है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला ISS पर रहने और काम करने वाले पहले भारतीय होंगे.

मिशन 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 39a से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट और नए क्रू ड्रैगन c213 अंतरिक्ष यान के साथ लॉन्च हुआ. iss तक पहुंचने में 28 घंटे लगेंगे, जिसमें कक्षा समायोजन और सुरक्षा जांच शामिल हैं. चार सदस्यों की टीम 14 दिन तक iss पर रहेगी, जहां वे 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे.

शुभांशु शुक्ला: भारत का नया सितारा

शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं, जो 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में गए हैं. वह Ax-4 के पायलट हैं और ISS पर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. उनके साथ हैं… पेगी व्हिटसन- मिशन कमांडर, पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री, स्लावोश उज्नान्स्की-विस्निव्स्की- पोलैंड के पहले ISS अंतरिक्ष यात्री और तिबोर कपु- हंगरी के पहले अंतरिक्ष यात्री (सोवियत युग के बाद).

यह चार देशों की टीम अंतरिक्ष में वैश्विक सहयोग का प्रतीक है. यह दिखाता है कि निजी कंपनियां जैसे एक्सिओम अब नए देशों को अंतरिक्ष में मौका दे रही हैं. शुभांशु ISS पर कई महत्वपूर्ण काम करेंगे. वह 60 से ज्यादा प्रयोग करेंगे, जैसे- अंतरिक्ष में मूंग और मेथी उगाना. मानव शरीर पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव का अध्ययन. सामग्री विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर शोध.

शुभांशु योग करेंगे और भारतीय मिठाइयां व एक खिलौना हंस (“जॉय”) ले जाएंगे, जो शून्य गुरुत्वाकर्षण में तैरकर मिशन का प्रतीक होगा. वह भारतीय छात्रों के साथ लाइव बात करेंगे, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रुचि बढ़ाएंगे.

गगनयान और भारत का अंतरिक्ष सपना

भारत का गगनयान कार्यक्रम, जिसे 2019 में मंजूरी मिली, 2026 में स्वदेशी रॉकेट से भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजेगा. लेकिन इसमें कई चुनौतियां हैं…

मानव कैप्सूल का डिज़ाइन.

पर्यावरण नियंत्रण और जीवन समर्थन प्रणाली.

सीमित बजट और तकनीकी विशेषज्ञता.

इन चुनौतियों को देखते हुए, 2023 में भारत ने iss मिशन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रस्ताव रखा. 2024 में अमेरिका के साथ समझौते के बाद, एक्सिओम स्पेस के साथ करार हुआ. इससे भारत को मानव अंतरिक्ष उड़ान की उन्नत तकनीक और अनुभव मिलेगा, जो गगनयान मिशन को तेज करेगा.

शुभांशु का चयन और प्रशिक्षण

2024 में भारत-अमेरिका समझौते के बाद, ISRO ने एक्सिओम के साथ करार किया. एक राष्ट्रीय टीम ने कठिन मूल्यांकन के बाद शुभांशु शुक्ला को मुख्य अंतरिक्ष यात्री और प्रसांथ बालकृष्णन नायर को बैकअप चुना. दोनों ने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर और अन्य स्थानों पर प्रशिक्षण लिया.

वाणिज्यिक अंतरिक्ष उड़ान का भविष्य

एक्सिओम-4 मिशन दिखाता है कि अंतरिक्ष अन्वेषण अब केवल सरकारों तक सीमित नहीं है. निजी कंपनियां जैसे एक्सिओम और स्पेसएक्स इसे सस्ता और सुलभ बना रही हैं. ISS 24 साल से अंतरिक्ष में मानव उपस्थिति का केंद्र रहा है, जो कम पृथ्वी कक्षा में अर्थव्यवस्था विकसित करने का आधार है. नासा अब चंद्रमा और मंगल मिशनों पर ध्यान दे रहा है, जबकि ISS प्रशिक्षण और अनुसंधान का केंद्र है.

भारत का अंतरिक्ष भविष्य

एक्सिओम-4 भारत के लिए एक शुरुआत है. भारत के बड़े लक्ष्य हैं…

गगनयान: 2026 में स्वदेशी मानव मिशन.

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS): 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन.

चंद्रमा मिशन: 2040 तक मानव चंद्रमा मिशन.

शुभांशु का मिशन इन सपनों की नींव रखेगा. यह भारत को अंतरिक्ष में अग्रणी देशों की श्रेणी में लाता है. एक्सिओम मिशन-4 के साथ शुभांशु शुक्ला ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मंच पर चमका दिया. 25 जून 2025 का यह लॉन्च भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल है. यह मिशन न केवल वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष सपनों को साकार करता है. शुभांशु की यह यात्रा गगनयान, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा मिशन की दिशा में एक बड़ा कदम है.

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