लिवर डोनेट करने के बाद शरीर में क्या बदलाव आते हैं? जानिए डॉक्टर की राय…

लिवर में गंभीर बीमारी होने पर डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं. लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार होता है. लेकिन ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी होता है कि कोई व्यक्ति अपना लिवर दान करें. जो व्यक्ति अपना लिवर डोनेट करता है. उसके शरीर में बाद में क्या होता है. क्या फिर से लिवर बन जाता है? डोनर की सेहत पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है. बता रहे हैं एक्सपर्ट.

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दिल्ली एम्स में गैस्ट्रोलॉजी विभाग के पूर्व डॉ अनन्य गुप्ता बताते हैं किलिवर तब तक काम करता है जब वह पूरी तरह से डैमेज नहीं हो जाता. कुछ गंभीर बीमारियां हैं जिनके कारण लिवर काम करना बंद कर देता है. इस स्थिति में लिवर का ट्रांसप्लांट किया जाता है. डोनर से मैच होने के बाद यह प्रक्रिया पूरी की जाती है. एक व्यक्ति अपने लिवर का कुछ हिस्सा डोनेट करता है, जिसे मरीज के लिवर में ट्रांसप्लांट किया जाता है. ट्रांसप्लांट होने के बाद स्वस्थ लिवर का हिस्सा खराब लिवर की मरम्मत शुरू कर देता है और उसे काम करने योग्य बना देता है.

इतने समय में बनता है लिवर

डॉ गुप्ता बताते हैं कि लिवर डोनेट करने की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं. इनमें मूल्यांकन, सर्जरी और रिकवरी शामिल है. लिवर डोनेट करने के बाद पूरी तरह से रिकवरी हासिल करने में 6 महीने का समय लग सकता है. डोनर को 5 से 7 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है. इसके बाद 6 से 8 सप्ताह में लिवर 80 प्रतिशत तक अपने मूल आकार में पहुंच जाता है. इसके बाद लिवर का आकार पूरा होने में लगभग 6 महीने का समय लग जाता है.

इन बातों का रखें ध्यान

लिवर डोनेट करने के बाद डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना जरूरी है. डोनर को समय से दवाएं लेनी चाहिए और नियमित जांच करवानी चाहिए. इसके साथ ही डोनर को स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए. संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें और शराब व धूम्रपान से दूर रहें. अत्यधिक वसा वाला खाना खाने से बचें. इसके साथ ही ज्यादा तला भुना खाने से भी बचना चाहिए. लिवर के अपने पूर्ण आकार में आकर कार्य सुचारू रुप से शुरु करने तक नुकसान पहुंचाने वाला कोई खाद्य पदार्थ और कार्य न करें.

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