भले ही जुलाई महीने का महंगाई का डाटा सामने ना आया हो, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के सामने जून का महंगाई डाटा सामने है. जून के महीने में रिटेल महंगाई करीब 77 महीने के लोअर लेवल पर पहुंच गई थी. ऐसे में आरबीआई के सामने ये सवाल है कि ब्याज दरों में कटौती की जाए या नहीं. सवाल तो ये सबसे बड़ा है कि ब्याज दरों में कटौती कितनी की जाए. इसका कारण भी है. आरबीआई ने जून महीने में ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी. उससे पहले फरवरी और अप्रैल के महीने में ब्याज दरों में कटौती 25-25 बेसिस प्वाइंट की थी.
इसका मतलब है कि आरबीआई की पॉलिसी ब्याज दर 6.50 फीसदी से घटकर 5.50 फीसदी पर आ गई है. अब जब देश में महंगाई 2 फीसदी के करीब है तो अगस्त के महीने में ब्याज दरों में कितनी कटौती जाए उसका मंथन आरबीआई एमपीसी ने शुरू कर दिया है. 6 अगस्त को आरबीआई गवर्नर जो एमपीसी के चेयामैन भी हैं, घोषणा करेंगे. वैसे एसबीआई की हाल में आई रिपोर्ट में कहा गया है कि रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है. वहीं कुछ दबी जुबान में 0.50 फीसदी की कटौती की आशंका जता रहे हैं.
वहीं कुछ एक्सपर्ट अगले पॉलिसी की एक साथ भी प्रिडिक्शन कर रहे हैं. उनका मानना है कि अगस्त, अक्टूबर और दिसंबर के महीने में कुल 1 फीसदी की और कटौती देखने को मिल सकती है. इसका मतलब है कि 50-25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती देखने को मिल सकती है. इसका मतलब है कि साल के अंत तक रेपो रेट 4.5 फीसदी पर आ सकता है. जो कि अपने आप में बड़ी राहत की बात होगी. जानकारों का यह भी कहना है कि अगस्त के महीने में आरबीआई अपने महंगाई के अनुमान को और भी कम कर सकती है. आइए जरा विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर आरबीआई 6 अगस्त को क्या कर सकता है.
शुरू हुआ आरबीआई का मंथन
सोमवार यानी 4 अगस्त से आरबीआई एमपीसी का रेपो रेट, महंगाई और जीडीपी पर मंथन शुरू हो गया है. जब से संजय मल्होत्रा ने आरबीआई गवर्नर का पद संभाला है, तब से आरबीआई एमपीसी ने आम लोगों के हितों को काफी ध्यान में रखा है. फरवरी से लेकर जून तक ब्याज दरों में 1 फीसदी की कटौती देखने को मिल चुकी है. फरवरी के महीने में 25 बेसिस प्वाइंट, अप्रैल में भी 0.25 फीसदी और जून में 0.50 फीसदी की कटौती कर बड़ी राहत दी है.
अगस्त के महीने में कितनी कटौती की जाए आरबीआई एमपीसी के सामने यहर सबसे यक्ष प्रश्न है. वैसे एसबीआई ने 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती का अनुमान लगाया है. वहीं दूसरी ओर रॉयटर्स के पोल में 75 फीसदी लोगों ने कहा है कि इस बार रेपो रेट में कटौती नहीं होगी. यही सबसे बड़ा सवाल सभी के सामने सामने है कि आखिर 6 अगस्त को आरबीआई क्या करने वाला है. क्योंकि जून के महीने में किसी ने भी नहीं सोचा था कि आरबीआई 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर देगा.
एसबीआई की रिपोर्ट ने क्या कहा?
एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की एमपीसी 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है. एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हमने दिवाली के आसपास रेपो दर में कटौती के संदर्भ में लोन ग्रोथ के पिछले रुझानों का विश्लेषण किया है. हमने पाया है कि दिवाली से पहले रेपो दर में कोई भी कटौती दिवाली तक लोन ग्रोथ को और भी तेज़ी से बढ़ाती है. एसबीआई ने अपनी बात उदाहरण से साबित करने की कोशिश की है. जिसमें कहा गया है कि अगस्त 2017 में रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती के कारण दिवाली के अंत तक 1956 अरब रुपए की वृद्धिशील लोन ग्रोथ देखने को मिली.
जिसमें से लगभग 30 फीसदी की हिस्सेदारी पर्सनल लोन में थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी 2025 से, RBI पहले ही रेपो दर में 100 आधार अंकों (1%) की कटौती कर चुका है, जिससे उधारकर्ताओं के साथ-साथ उन बैंकों को भी राहत मिली है कि जिनकी क्रेडिट बुक में सुधार हुआ है. रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क (EBLR) से जुड़े होम लोन की ब्याज दर में फरवरी से लगभग 1 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं बैंकों ने होम लोन की मांग में भी वृद्धि देखी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि RBI ने रेपो रेट में कितनी की है और EBLR से जुड़ी होम लोन दर में भी उतनी ही गिरावट आई है. हमारा मानना है कि इससे बैंकों के होम लोन पोर्टफोलियो को बढ़ावा मिला है. जहां तक उधार दरों में कमी की गति का सवाल है, प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की तुलना में पब्लिक सेक्टर के बैंक ज्यादा तेज रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों ने अपने रेपो-लिंक्ड ईबीएलआर में उसी अनुपात में संशोधन किया है. कई बैंकों ने अपनी एमसीएलआर दरों में 10-65 आधार अंकों की कमी की है.
रॉयटर्स पोल की भविष्यवाणी
रॉयटर्स के अर्थशास्त्रियों के पिछले हफ्ते के सर्वे के अनुसार, जून में आश्चर्यजनक रूप से अपेक्षा से कहीं अधिक कटौती के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक अगस्त की पॉलिसी मीटिंग में रेपो रेट को 5.50 फीसदी पर बनाए रख सकता है और वर्ष के अंत तक इसे फिर से कम करने का अनुमान है. इसका मतलब है कि अगस्त और अक्टूबर के महीने में रेपो रेट में कोई बदलाव ना होने का अनुमान दिया है. मंद महंगाई ने पॉलिसी मेकर्स को दरों में कटौती की गुंजाइश दी है.
केंद्रीय बैंक ने जून में एक तटस्थ रुख अपनाया था, यह सुझाव देते हुए कि आगे की दरों में कटौती एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी के आने वाले आंकड़ों पर निर्भर करेगी. भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर अभी भी बातचीत चल रही है, लेकिन हाल ही में अमेरिका ने 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान कर दिया है.
सर्वे में शामिल लगभग 75 फीसदी अर्थशास्त्रियों, यानी 57 में से 44, का अनुमान है कि आरबीआई 6 अगस्त की नीतिगत बैठक में रेपो दर को 5.50 फीसदी पर बनाए रखेगा. बाकी अर्थशास्त्रियों ने 18-24 जुलाई के रॉयटर्स सर्वेक्षण में 25 आधार अंकों की कटौती का अनुमान लगाया था. 50 आधार अंकों की कटौती के बाद जून में हुए एक त्वरित रॉयटर्स सर्वेक्षण में रेपो दर को बनाए रखने के बहुमत के विचार 96 फीसदी से थोड़े कम हैं. अधिकांश अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि आरबीआई साल के अंत तक दरों में 25 आधार अंकों की कटौती करेगा, जो जून की तुलना में एक बदलाव है, जब अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने कम से कम वित्तीय वर्ष के अंत तक दरों में कोई बदलाव नहीं होने की उम्मीद जताई थी.
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जुलाई के मिड में कहा था कि पॉलिसी मेकर्स भविष्य में ब्याज दरों के फ़ैसले सिर्फ़ मौजूदा आंकड़ों के बजाय महंगाई के अनुमान के आधार पर लेंगे. इस वित्त वर्ष में महंगााई औसतन 3.4 फीसदी रहने का अनुमान है, जो केंद्रीय बैंक के 3.7 फीसदी के मौजूदा अनुमान से कम है. इस वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट औसतन 6.4 फीसदी तथा अगले वर्ष 6.7 फीसदी रहने की उम्मीद थी.
क्या फिर हो सकती है 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती?
ये सवाल काफी बड़ा है. क्योंकि ये बात हर कोई कहने से डर रहा है कि आखिर अगस्त के महीले में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती होगी. लेकिन सवाल यही है कि आखिर ऐसा क्यों नहीं हो सकता है. इस बारे में जब या वेल्थ ग्लोबल रिसर्च के डायरेक्टर अनुज गुप्ता ने टीवी 9 हिंदी डिजिटल की टीम से बात हुई तो उन्होंने कहा कि 25 बेसिस प्वाइंट एक मिनिमम बार सेट किया जा रहा है. इसका मतलब है कि आरबीआई अगस्त के महीने में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करेगा ही. अब सवाल ये है कि 50 बेसिस प्वाइंट क्यों नहीं कर सकता?
अनुज गुप्ता कहते हैं कि आरबीआई एमपीसी 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर एक बार फिर से सभी को चौंका सकता है. उसका कारण भी है. मौजूदा दौर में अमेरिका के साथ टैरिफ की वजह से परिस्थितियों में बदलाव देखने को मिला है. पहले भी देश की इकोनॉमी को संभालने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट में अग्रेसिव तरीके से ब्याज दरों में कटौती की है. साल 2020 में सिर्फ दो ही कटौती की थी, लेकिन रेपो दरों में 115 बेसिस प्वाइंट की कमी आ गई थी. उससे पहले साजल 2008 में लगातार तीन कटौती से डेढ़ फीसदी की कटौती कर डाली थी.
अब भी हो सकती है 1 फीसदी की कटौती
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि पिछले तीन मीटिंग में एक फीसदी की कटौती देखने को मिली है, क्या अगस्त, अक्टूबर और दिसंबर की मीटिंग में भी एक फीसदी की कटौती देखने को मिल सकती है. इस पर अनुज गुप्ता का कहना है कि अगली तीन मीटिंग में भी 50-25-25 या फिर 25-50-25 के रेश्यो में ब्याज दरों में कटौती देखने को मिल सकती है. उन्होंने कहा कि 25 फीसदी टैरिफ के बार एक्सटरनल सप्लाई कम होने और डॉमेस्टिक सप्लाई में इजाफा होने से कीमतों में कटौती देखने को मिल सकती है. जिसका महंगाई में कटौती के रूप में देखने को मिलेगा. आरबीआई एमपीसी को लगातार कटौती करनी पड़ सकती है. अब देखने वाली बात होगी कि आरबीआई 0.25 फीसदी की कटौती करता है या फिर 0.50 फीसदी की. या रॉयटर्स का सर्वे सही साबित होगा.