शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और हिंदू धर्म अपना कर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर बन चुके वसीम रिज़वी ने अपनी अंत्येष्टि को लेकर वसीयत की है. इस वसीयत के मुताबिक, मृत्यु के बाद हिंदू धर्म के रीति रिवाजों के तहत उनकी अंत्येष्टि की जाए. इसके लिए उन्होंने तीन लोगों को अधिकृत किया है. साथ ही ये भी इच्छा ज़ाहिर की है अगर स्वास्थ्य इजाज़त दे तो संत रामभद्राचार्य के हाथों या उनकी मौजूदगी में उनकी अस्थियों का विसर्जन किया जाए.
बता दें कि सनातन धर्म अपना कर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर बन चुके वसीम रिज़वी ने बाक़ायदा रजिस्टर्ड शपथ पत्र देकर ये घोषणा की है. उन्होंने इच्छा ज़ाहिर की कि उनका हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार दाह संस्कार किया जाए. पहले भी उन्होंने ये इच्छा ज़ाहिर की थी कि उनको इस्लाम के अनुसार ना दफ़नाया जाए बल्कि उनका अग्नि में दाह संस्कार किया जाए. इस बार विस्तार से उन्होंने अपनी वसीयत में इस बात को लिखा है.
हिंदू धर्म के अनुसार दाह संस्कार किया जाए: वसीम रिजवी
वसीम रिज़वी उर्फ़ जितेंद्र नारायण सिंह ने रजिस्टर्ड शपथपत्र (वसीयतनामा) जारी करते हुए कहा है कि “मेरे परिवार में सभी लोग इस्लामी परंपरा के हिसाब से अपने मजहब को मानते हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि वह कट्टरपंथी मानसिकता नहीं रखते. इस कारण मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को मेरे सनातनी होने पर कोई आपत्ति नहीं है और मुझे अपने परिवार के सभी लोगों को इस्लाम मानने पर कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन मेरे अंदर एक यह आशंका है कि जब मेरी हत्या होगी तब हो सकता है परिजन मेरे शव को परिवार का अधिकार बताते हुए मुस्लिम रीति रिवाज से कब्रिस्तान में दफन करने की कोशिश करें. मगर अब मैं सनातनी हो चुका हूं इसलिए मेरे अनुसार मेरी अंतिम क्रिया हिंदू रीति-रिवाज से होनी चाहिए.”
तीन लोगों को किया अधिकृत, रामभद्राचार्य की मौजूदगी में हो अस्थि विसर्जन
अपनी वसीयत में जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर ने तीन लोगों को अपनी अंत्येष्टि के लिए अधिकृत भी किया है. उन्होंने संघ के प्रचारक रहे महिरजध्वज सिंह, उत्तराखंड के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर प्रभात कुमार सेंगर और लखनऊ के पत्रकार हेमेंद्र प्रताप सिंह तोमर को अपनी अंत्येष्टि के लिए अधिकृत किया. साथ ही प्रख्यात संत तुलसीपीठ के गुरु रामभद्राचार्य की मौजूदगी में अस्थि विसर्जन की इच्छा ज़ाहिर की है.
वसीयत में वसीम रिज़वी ने लिखा- “जगतगुरु महाराज रामभद्राचार्य जी ने मुझे तुलसी पीठ में दीक्षा दी है इसलिए मैंने अपने इच्छा पात्र वसीयतनामे में यह लिखा है कि अगर उनका स्वास्थ्य उनको अनुमति दे तो मेरी हस्तियों का विसर्जन उनके हाथों से ही कराया जाए. अगर ऐसा ना हो पाए तो मेरे द्वारा अधिकृत किए गए लोग ही मेरी हस्तियों का विसर्जन करें.”
आरएसएस की तारीफ, खुद को संघ का सिपाही बताया
वसीम रिज़वी ने संघ की तारीफ़ करते हुए ख़ुद को आरएसएस का सिपाही बताया. उनकी वसीयत के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ऐसा संगठन है जिसका योगदान भारत के निर्माण में नकारा नहीं जा सकता. मैं ख़ुद को आरएसएस का सिपाही मानता हूं.
मालूम हो कि वसीम रिज़वी ने राम जन्मभूमि के अदालती मामले में शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष के नाते ये कहते हुए दावा किया था कि मीर बाक़ी शिया था इसलिए शिया वक़्फ़ बोर्ड को इसका अधिकार मिलना चाहिए. हालांकि, राम मंदिर बनाने की मांग करते हुए उन्होंने बाद में अपना दावा वापस ले लिया था.